प्रतिशब्द का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सकलदीप सिंह की पुस्तक प्रतिशब्द आई तो मैं सकलदीप जी के साथ उनके घर बेलूड़ गया था ( जो दरअसल कल्याणी सिंह का ही अधिक था , जहां वे कभी कभार वर्षों बाद लौटते रहते थे ) .
- किसी ध्वनि का किसी बाधक पदार्थ से टकराने पर उत्पन्न होने वाला प्रतिरूप ; प्रतिशब्द ; गूँज 3 . { ला- अ. } दूसरे के विचारों , कथनों आदि का मूल से मिलते-जुलते रूप में दोहराया जाना 4 .
- किसी ध्वनि का किसी बाधक पदार्थ से टकराने पर उत्पन्न होने वाला प्रतिरूप ; प्रतिशब्द ; गूँज 3 . { ला- अ. } दूसरे के विचारों , कथनों आदि का मूल से मिलते-जुलते रूप में दोहराया जाना 4 .
- उन्हीं दिनों उन्होंने कल्याणी सिंह , प्रभा खेतान की कविता पुस्तक हुस्नाबानों व अन्य कविताएं ' तथा अर्चना वर्मा की कविताओं पर भी 28 पेज लेख तथा सकलदीप सिंह के प्रतिशब्द पर 16 सफे का लेख लिखा था .
- कहने का आशय यह कि परंपराप्राप्त , शासक संरक्षित, ‘सार्वजनिक शुभ' के अर्थ में लें, या निजता संपन्न नागरिकों के पारस्परिक संवाद से अर्जित ‘सामान्य शुभ' के अर्थ में-इस प्रसंग में ‘पब्लिक' का सही प्रतिशब्द ‘लोक' है न कि ‘सार्वजनिक' या ‘जनपद'।
- अंग्रेजी शब्दकोश में जितने शब्द हिन्दी के शामिल किए गए हैं , उन्हें जितने अंग्रेजी भाषी व्यक्ति उच्चारण करेंगे, बोलेंगे, हरेक व्यक्ति से प्रतिशब्द दस दस रुपये जुर्माना वसूल करके भारत संघ को दिया जाए तो कुल कितने करोड़/अरब की आय होगी, जरा हिसाब लगाएँ आप सभी .... ...
- इसी तरह राजनीति शास्त्र में भी सिद्धान्तकारों की उक्तियों / सिद्धांतों को जो कि लगभग एक से ही हुआ करते थे, उन्हें रटना और शब्द प्रतिशब्द परीक्षा में लिख पाना मुझसे कभी न हो पाया...मुझे लगता, सबने लगभग एक ही बात तो कही,फिर क्या फर्क पड़ता है कि वाक्य में किस शब्द का प्रयोग किया गया...
- Oxford अंग्रेजी शब्दकोश में जितने शब्द हिन्दी के शामिल किए गए हैं , उन्हें जितने अंग्रेजी भाषी व्यक्ति उच्चारण करेंगे , बोलेंगे , हरेक व्यक्ति से प्रतिशब्द दस दस रुपये जुर्माना वसूल करके भारत संघ को दिया जाए तो कुल कितने करोड़ / अरब की आय होगी , जरा हिसाब लगाएँ आप सभी .... ...
- मुझे द्वितीय अध्याय में देवी के ‘ नाद ' की याद आती है जो कहीं न समा सका , आकाश जिसके सामने लघु प्रतीत होने लगा : ‘‘ तस्या नादेन घोरेण कृत्स्नमापूरितं नभः यह ‘ शब्द ' प्रतिशब्द को पैदा करता है जो संपूर्ण विश्व में हलचल मचा देता है और जिससे समुद्र काँपने लगता है , पृथ्वी डोलने लगती है , पर्वत हिलने लगते हैं।
- मुझे द्वितीय अध्याय में देवी के ‘ नाद ' की याद आती है जो कहीं न समा सका , आकाश जिसके सामने लघु प्रतीत होने लगा : ‘‘ तस्या नादेन घोरेण कृत्स्नमापूरितं नभः यह ‘ शब्द ' प्रतिशब्द को पैदा करता है जो संपूर्ण विश्व में हलचल मचा देता है और जिससे समुद्र काँपने लगता है , पृथ्वी डोलने लगती है , पर्वत हिलने लगते हैं।