फटाका का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इस बार बाजार में नए पटाखों के रूप में फ्लाइंग कामेट , होली मल्टी कलर फटाका, मिस बटर फ्लाई, मिमिक बर्ड, कलर फूल अनार, गोल्डन स्काई, स्काई डांस, रेनबो फाग, स्काई वाला, 8 बाल, पावर पाट, चाइना लाइट, गोल्ड रस, वंडर ट्री, संगीत, सायरन, स्मोक पाइप, चाइना रस्सी बम आदी पहुंचे हैं।
- जारी आदेश के तहत कोई व्यक्ति या व्यक्तिओं का समूह इस आदेश के जारी होने के तत्काल पश्चात से किसी भी प्रकार के विस्फोटक पदार्थ , फटाका , बारूद इत्यादि आग्नेय , घातक शस्त्रों , तलवार , लाठी , भाला , बरछी , चाकू इत्यादि का संग्रहण एवं परिवहन विधिसंगत अनुज्ञप्तियों के अलावा नहीं करेगा।
- जारी आदेश के तहत कोई व्यक्ति या व्यक्तिओं का समूह इस आदेश के जारी होने के तत्काल पश्चात से किसी भी प्रकार के विस्फोटक पदार्थ , फटाका , बारूद इत्यादि आग्नेय , घातक शस्त्रों , तलवार , लाठी , भाला , बरछी , चाकू इत्यादि का संग्रहण एवं परिवहन विधिसंगत अनुज्ञप्तियों के अलावा नहीं करेगा।
- हमारे बच्चों मन में लालसा बनी ही रह जाती है कि काश मैं भी सौ आवाज वाला फटाका चला पाता ! हमारे स्वयं के मन में लालसा बनी ही रह जाती है कि काश दीपावली के इस अवसर पर श्रीमती जी के लिए एक आभूषण बनवा पाता , उन्हें उनके पसंद की एक अच्छी साड़ी दिलवा पाता !
- लक्ष्मी पूजन वही हैं जहॉं धन एकत्रित हो , ,,,फटाका फोड़कर धन की बरबादी से लक्ष्मी कहॉं से आयेगी -? दिपावली के रात जुआ खेला जाएगा , पूजापाठ करों और प्रसाद -पकवान अधिक खाकर पेट खराब करके डाक्टरों के पास भागो ......जुआ खेलो ...शराब पिओ ओर पिलाओं ...ऐसे अनेक प्रकार के विधाओं से धन की बरबादी होती हैं ,अत:
- लक्ष्मी पूजन वही हैं जहॉं धन एकत्रित हो , ,,,फटाका फोड़कर धन की बरबादी से लक्ष्मी कहॉं से आयेगी -? दिपावली के रात जुआ खेला जाएगा , पूजापाठ करों और प्रसाद -पकवान अधिक खाकर पेट खराब करके डाक्टरों के पास भागो ......जुआ खेलो ...शराब पिओ ओर पिलाओं ...ऐसे अनेक प्रकार के विधाओं से धन की बरबादी होती हैं ,अत:
- दिपावली आज धूल . धूर्त और धूओं का त्यौहार बन कर रह गया हैं ,जो जितनी कानफोडू आवाज के साथ फटाका फोडेंगे और वायु प्रदुषण से देश के जन जीवन को बरबाद करने में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखना चाहेंगे- वे उतने ही बड़े दिपावली हिरो कहलाएगा ,अरबों की कमाई वाली दिपावाली में जिनके पास लक्ष्मी जाना हैं वह तो कल धनतेरस के दिन ही जा चुकी हैं ,बाकी वे लक्ष्मी पुत्र पर्यावरण और जन जीवन के बारे में सोचते हुए असली मजा क्यों किरकिरा करें ............
- कमलेश बैरागीजी का प्रयास तो अच्छा है>>>>पर अभी आपके शब्दो का दोर आने मे वक्त लगेगा , ऐसा Shiv Kumar Mishra जी कि बातो से लग रहा है>>>>> मेरी माने तो कुछ इस तरह के शब्दो कि अपने गानो मे मिलावट करे मखना, की जगह मखनी, सोणिया जैसा है वैसा ही रहने दे, चखणा की जगह चखणी, बल्ले-बल्ले भी ठीक है, सावा-सावा की जगह सावी सावी, कुड़ी ठीक है, मुंडा की जगह मुंडी .....बाम, फटाका, पतली कमरीया, फुलझडी, जैसे भी शब्द आजकल मार्केट मे धुम से चल रहे है।