बिधना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- न कोई पाती , न संदेस ! ओ बिधना ! हमें क्यों दी ऐसी ठेस ! भैया को दिए महल चोबारे , हमारे लिए बना परदेस ! यादों का वह धुंधला सपना , सब ही लगता बिलकुल अपना .
- बिधना ने इस दुःख पर भी बियोग दिया हा ! यह वर्षा और यह दुःख ! हरिश्चन्द्र का तो ऐसा कठिन कलेजा है कि सब सहेगा पर जिस ने सपने में भी दुख नहीं देखा वह महारानी किस दशा में होगी।
- उनके हाथों में जुंबिश हुई और मुंह से कुछ राग निकले , और साथ ही निकला गाने का पहला बोल- ” तोरी मरजी है क्या , बता दे बिधना रे .... , काहे मोरा पिया ना मिला ... ना मिला रे ...
- करील पर न हों पत्ते तो बसंत का क्या दोष नहीं टिपे उल्लू को दिन में तो सूरज का क्या दोष पानी की धार न गिरे चातक के मुंह में तो बादल का क्या दोष बिधना ने जो लिख दी है ललाट पर कौन मेट सकता है उसे ! ॥ 94 ॥
- इसी दशक में नैहर छूटा जाए , बलमा बड़ा नादान , कब होइहैं गवनवा हमार , जेकरा चरनवा में लगले परनवा , नाग पंचमी , सीता मैया , सैंया से भइले मिलनवा , आइल बसंत बहार , बिधना नाच नचावे , हमार संसार , सोलहो सिंगार करे दुल्हनिया , गोस्वामी तुलसीदास आदि फिल्में बनीं।
- इसी दशक में नैहर छूटा जाए , बलमा बड़ा नादान , कब होइहैं गवनवा हमार , जेकरा चरनवा में लगले परनवा , नाग पंचमी , सीता मैया , सैंया से भइले मिलनवा , आइल बसंत बहार , बिधना नाच नचावे , हमार संसार , सोलहो सिंगार करे दुल्हनिया , गोस्वामी तुलसीदास आदि फिल्में बनीं।
- दस पीसै के बाद पुराणूँ टकड़ो आकै कविता गाई “अब हम हैं किस काम के ? वैसे भरी जवानी में भी हम थे चार छदाम के बिधना से मोटापा पाया, पर वह भी कुछ काम न आया चलते ही लड़खड़ा गये हम, औंधे गिरे धड़ाम से अब हम हैं किस काम के! हलवाई ने हमें टटोला, वर्षों तक हमने घी तोला नये बाट आकर अब हमको भक्त बना गये राम के बोल सिया राम सिया राम सिया राम” इबकै एक हास्