बृहदारण्यक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ' बृहदारण्यक में भी इसी का समर्थन किया गया है - ' अरण्येऽनूच्यमानत्वात् आरण्यकम्।
- ' बृहदारण्यक में भी इसी का समर्थन किया गया है - ' अरण्येऽनूच्यमानत्वात् आरण्यकम्।
- ' बृहदारण्यक में भी इसी का समर्थन किया गया है - ' अरण्येऽनूच्यमानत्वात् आरण्यकम्।
- शुक्लयजुर्वेद से समबद्ध बृहदारण्यक है जो काण्व और माध्यन्दिन दोनों शाखाओं में प्राप्त है।
- दो शब्दों के मेल से बना यह बृहदारण्यक उपनिषद एक महत्वपूर्ण उपनिषद है .
- अयम् आत्मा ब्रह्म ।।- बृहदारण्यक उपनिषद् 2-5-19 भावार्थ : यह आत्मा ही ब्रह्म है।
- सामवेदीय तलवकार ब्राह्मण के अन्तर्गत वर्णित बृहदारण्यक उपनिषद की शैली अत्यन्त क्रमबद्ध और युक्तिपूर्ण है।
- ;१ . गद्यात्मक उपनिषद् १. ऐतरेय, २. केन, ३. छांदोग्य, ४. तैत्तिरीय, ५. बृहदारण्यक तथा ६.
- सामवेदीय तलवकार ब्राह्मण के अन्तर्गत वर्णित बृहदारण्यक उपनिषद की शैली अत्यन्त क्रमबद्ध और युक्तिपूर्ण है।
- मुख्य उपनिषदें हैं- ईश , केन, कठ, प्रश्न, मुंडक, मांडूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छांदोग्य, बृहदारण्यक और श्वेताश्वर।