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बेतकल्लुफ़ का अर्थ

बेतकल्लुफ़ अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. पर एक हिट अनुपात 8 : 1-राइफल लाभ प्रदान करता है, जब दोनों बेतकल्लुफ़ एकाधिक लक्ष्य के विरुद्ध पक्ष द्वारा पूर्ण ऑटो ओर निकाल रहे हैं, लक्ष्य बढ़ भी शामिल है.
  2. उसने लखिए से बेतकल्लुफ़ होकर पूछा , '' कहाँ है तेरी लुगाई ? प्रश्न का उत्तर जसोदा ने दिया , '' ये रही बोलो किसको काम है ? ''
  3. “ रानी बहुत अच्छी है ” , राजन ने सिर उठाया , आँखों में एक बेतकल्लुफ़ सी लाचारी थी , “ लेकिन मैं अपने को रोक नहीं पाता . ”
  4. क़िबला कभी तरंग में आते तो अपने इकलौते बेतकल्लुफ़ दोस्त रईस अहमद क़िदवाई से कहते कि जवानी में मई-जून की ठीक दुपहरिया में एक हसीन कुंवारी लड़की का कोठों-कोठों नंगे पांव उनकी हवेली की तपती छत पर आना अब तक ( मय डायलाग के) याद है।
  5. क़िबला कभी तरंग में आते तो अपने इकलौते बेतकल्लुफ़ दोस्त रईस अहमद क़िदवाई से कहते कि जवानी में मई-जून की ठीक दुपहरिया में एक हसीन कुंवारी लड़की का कोठों-कोठों नंगे पांव उनकी हवेली की तपती छत पर आना अब तक ( मय डायलाग के ) याद है।
  6. सत्तर के दशक का आखिर ! सिगरेट , मुकेश का गाया वह गाना और दिनेश ठाकुर का वह बेतकल्लुफ़ अंदाज़ ! उन की वह मासूम अदा हमें भी तब भिगो देती और सिगरेट के धुएं में हम भी अपनी जानी-अनजानी आग और अपनी जानी-अनजानी प्यास के पीछे भागने से लगते।
  7. मोदी जी इस कार्यक्रम के लिए तैयार तो बिना किसी ख़ास हील-हुज्जत के हो गए थे पर शंका थी कि मुख्यमंत्री हैं , लोगों का कहना है कि मिज़ाज भी कुछ तीखा है, पता नहीं कैसा मूड हो और बीबीसी एक मुलाक़ात कि कुछ चुलबुली, बेतकल्लुफ़ और ग़ैर परंपरागत शैली से उखड़ न जाएं.
  8. मोदी जी इस कार्यक्रम के लिए तैयार तो बिना किसी ख़ास हील-हुज्जत के हो गए थे पर शंका थी कि मुख्यमंत्री हैं , लोगों का कहना है कि मिज़ाज भी कुछ तीखा है , पता नहीं कैसा मूड हो और बीबीसी एक मुलाक़ात कि कुछ चुलबुली , बेतकल्लुफ़ और ग़ैर परंपरागत शैली से उखड़ न जाएं .
  9. मोदी जी इस कार्यक्रम के लिए तैयार तो बिना किसी ख़ास हील-हुज्जत के हो गए थे पर शंका थी कि मुख्यमंत्री हैं , लोगों का कहना है कि मिज़ाज भी कुछ तीखा है , पता नहीं कैसा मूड हो और बीबीसी एक मुलाक़ात कि कुछ चुलबुली , बेतकल्लुफ़ और ग़ैर परंपरागत शैली से उखड़ न जाएं .
  10. नंद भारद्वाज जी कवि के बेतकल्लुफ़ अंदाज की ओर इशारा करते हुए लिखते हैं कि कवि आस पास की ज़िन्दगी के ब्यौरों के बीच अपने मनमौजी स्वभाव के अनुरूप सहज-सी उक्तियाँ करता चलता है और उसी प्रक्रिया में कविता का जो पाठ निर्मित होता है , कवि उसमें बगैर किसी कांट-छांट के अपनी बात को एक लॉजिकल बिन्दु तक ले जाता है और वहीं विराम दे देता है।
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