ब्रह्मयज्ञ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- कदाचित् इसीलिए शास्त्रों में पंच महायज्ञों ( भूतयज्ञ , मनुष्ययज्ञ , पितृयज्ञ , देवयज्ञ , एवं ब्रह्मयज्ञ ) का उल्लेख मिलता है , जो मनुष्य और मनुष्येतर प्राणियों , पितरों , आदि के प्रति समर्पित रहते हैं ।
- ब्रह्मयज्ञ ऋषियों की भाँति अपना सब कुछ धन-सम्पति , ऐश्वर्य , शरीर-प्राण , मन-बुद्धि , हृदय आदि सभी परमात्मा को अर्पित कर दें और फिर उनके आदेश के अनुसार ही अपने जीवन में इन सबों का उपयोग करें ।
- वेद शास्त्रों तथा स्तोत्रा आदि का पठन-पाठन ब्रह्मयज्ञ , तर्पण , पितृयज्ञ , अग्निहोत्र अथवा अन्य गायत्री आदि मन्त्र द्वारा हवन देवयज्ञ , भोजन के समय काक वगैरह की बलि ( भाग ) निकालना भूत यज्ञ और अतिथि सत्कार मनुष्य यज्ञ कहलाता हैं।
- इसको लेकर ब्रह्माजी का मंदिर एवं राजपुरोहित समाज विकास न्यास के पदाधिकारी व कार्यकर्ता तैयारियों में जुटे हु ! न्यास महामंत्री भंवरसिंह कनानाजी ने बताया कि शतकुंडीय ब्रह्मयज्ञ में भाग लेने वाले प्रधान यजमानों व यजमानों का पंजीयन शुरू हो गया है !
- संध्या जिसे ब्रह्मयज्ञ कहते हैं , जो पंचमहायज्ञोमे सर्व प्रथम है कारण सब यज्ञो से बड़ा है , जो एक अनिवार्यता है , उसमें कहते हैं-हे ईश्वर , दयानिधे ! भवत्कृपया अनेन जपोपासनादि कर्मणा धर्म अर्थकाम मोक्षाणां सद्य : सिद्घी : भवेन्न : ।
- इसी लक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत “ वैदिक नित्यकर्म विधि ” में ब्रह्मयज्ञ , देवयज्ञ आदि नित्यकर्मों के मन्त्रों को सरलार्थ सहित प्रस्तुत किया गया है ताकि हम मन्त्र के अन्तर्गत दिये जाने वाले सन्देश , आदेश या शिक्षा को जान सकें और उसे अपने जीवन का अंग बनाकर जीवन को सार्थक कर सकें।
- सामान्य नियम यह है कि मलमास में नित्य कर्मों एवं नैमित्तिक कर्मों ( कुछ विशिष्ट अवसरों पर किए जाने वाले कर्मों ) को करते रहना ही चाहिए , यथा सन्ध्या , पूजा , पंचमहायज्ञ ( ब्रह्मयज्ञ , वैश्वदेव आदि ) , अग्नि में हवि डालना ( अग्निहोत्र के रूप में ) , ग्रहण-स्नान ( यद्यपि यह नैमित्तिक है ) , अन्त्येष्टि कर्म ( नैमित्तिक ) ।