भंगिन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सेवक रामा की वात्सल्यपूर्ण सेवा , भंगिन सबिया की पति-परायणता और सहनशीलता , घीसा की निश्छल गुरुभक्ति , साग-भाजी के विक्रेता अंधे अलोपी का सरल व्यक्तित्व , कुंभकार बदलू तथा रधिवा का सरल दांपत्य प्रेम , पहाड़ की रमणी लक्षमा का महादेवी के प्रति अनुपम स्नेह-भाव , वृद्ध भक्तिन की प्रगल्भता तथा स्वामी-भक्ति , चीनी युवक की करुण-मार्मिक जीवन-गाथा , पार्वत्य कुली जंगबहादुर तथा उसके अनुज धनिया की कर्मठता आदि अनेक विषयों को रेखाचित्रों में स्थान दिया है।
- सेवक रामा की वात्सल्यपूर्ण सेवा , भंगिन सबिया की पति-परायणता और सहनशीलता , घीसा की निश्छल गुरुभक्ति , साग-भाजी के विक्रेता अंधे अलोपी का सरल व्यक्तित्व , कुंभकार बदलू तथा रधिवा का सरल दांपत्य प्रेम , पहाड़ की रमणी लक्षमा का महादेवी के प्रति अनुपम स्नेह-भाव , वृद्ध भक्तिन की प्रगल्भता तथा स्वामी-भक्ति , चीनी युवक की करुण-मार्मिक जीवन-गाथा , पार्वत्य कुली जंगबहादुर तथा उसके अनुज धनिया की कर्मठता आदि अनेक विषयों को रेखाचित्रों में स्थान दिया है।
- ' अतीत के चलचित्र ' में सेवक ' रामा ' की वात्सल्यपूर्ण सेवा , भंगिन ' सबिया ' का पति-परायणता और सहनशीलता , ' घीसा ' की निश्छल गुरुभक्ति , साग-भाजी बेचने वाले अंधे ' अलोपी ' का सरल व्यक्तित्व , कुम्हार ' बदलू ' व ' रधिया ' का सरल दांपत्य प्रेम तथा पहाड़ की रमणी ' लछमा ' का महादेवी वर्मा के प्रति अनुपम प्रेम , यह सब प्रसंग महादेवी वर्मा के चित्रण की अकूत क्षमता का परिचय देते हैं।
- ' अतीत के चलचित्र ' में सेवक ' रामा ' की वात्सल्यपूर्ण सेवा , भंगिन ' सबिया ' का पति-परायणता और सहनशीलता , ' घीसा ' की निश्छल गुरुभक्ति , साग-भाजी बेचने वाले अंधे ' अलोपी ' का सरल व्यक्तित्व , कुम्हार ' बदलू ' व ' रधिया ' का सरल दांपत्य प्रेम तथा पहाड़ की रमणी ' लछमा ' का महादेवी वर्मा के प्रति अनुपम प्रेम , यह सब प्रसंग महादेवी वर्मा के चित्रण की अकूत क्षमता का परिचय देते हैं।
- रूक्को की सास महाराजा हरिश्चन्द्र के घर सफाई आदि का काम करने जाया करती थी , एक दिन वह बीमार पड़ गई, रूक्को महाराजा हरिश्चन्द्र के घर काम करने के लिये पहुंच गई, महाराज की पत्नी तारामती ने जब रूक्को को देखा तो वह अपने पूर्व जन्म के पुण्य से उसे पहचान गई, तारामती ने रूक्को से कहा - हे बहन, तुम मेरे यहां निकट आकर बैठो, महारानी की बात सुनकर रूक्को बोली- रानी जी, मैं नीच जाति की भंगिन हूं, भला मैं आपके पास कैसे बैठ सकती हूं ।
- ओ भंगियों के राजामेरा नन्हा सा दिल बहला जाओ भंगियों की रानीतोरे बिन रूठी है मोसे जवानीतुझसे बिछड़ कर ओ मेरे राजा फूट गई तक़दीरयहाँ कहाँ हैं सेठ के घर की पकी पकाई खीररूठ गई झाड़ू मुझसे रूठ गई कोठरियाकोई बहाना करके आजा भंगिन की छोकरियाइतने दिन से ख़त न आया धड़के छाती मोरीकिसी पर आ न गई हो छैला कहीं तबीयत तोरीसुना है तेरे देस में गोरी बाँके छैल छबीलेकिसी को घायल न कर दें यह तेरे नैन कटीलेजब मैं कोई छैला देखूँ दिल मेरा भर आएजब पापी मुड़ कर देखे तेरी याद सताए