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भग्नदूत का अर्थ

भग्नदूत अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. हिन्दी काव्य की विजयिनी कीर्ति-वसुंधरा का अज्ञेय नामधारी कवि ऐसा दूत है- ' भग्नदूत ' , जो अपनी ' चिन्ता ' को ' इत्यलम ' कहकर विरम नहीं गया , बल्कि ' हरी घास पर क्षण भर ' बैठकर वह ' बावरा अहेरी ' कलेजा दबाये एकटक देखता रहा - पड़े हैं सामने ' इन्द्रधनु रौंदे हुए ये ' ।
  2. कवि की रचनायें ' भग्नदूत ' ( १ ९ ३३ ) , चिन्ता ( १ ९ ४ २ ) , इत्यलम ( १ ९ ४ ६ ) , हरी घास पर क्षण भर ' ( १ ९ ४ ९ ) और बावरा अहेरी ( १ ९ ५ ४ ) - इन पाँच रचनाओं को मैंने काम के अन्तर्गत रखा है ।
  3. कवि की रचनायें ' भग्नदूत ' ( १ ९ ३३ ) , चिन्ता ( १ ९ ४ २ ) , इत्यलम ( १ ९ ४ ६ ) , हरी घास पर क्षण भर ' ( १ ९ ४ ९ ) और बावरा अहेरी ( १ ९ ५ ४ ) - इन पाँच रचनाओं को मैंने काम के अन्तर्गत रखा है ।
  4. भग्नदूत , चिंता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्रधनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, पूर्वा, सुनहले शैवाल, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा, पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ, महावृक्ष के नीचे, नदी की बाँक पर छाया, ऐसा कोई घर आपने देखा है (हिंदी) प्रिज़न डेज़ एंड अदर पोयम्स (अंग्रेजी)
  5. कविता संग्रह : भग्नदूत, चिन्ता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्रधनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, पूर्वा (इत्यलम् तथा हरी घास पर क्षण भर), सुनहले शैवाल, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा, पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ, महावृक्ष के नीचे, नदी की बाँक पर छाया, प्रिज़न डेज़ एण्ड अदर पोयम्स (अंग्रेजी में) और ऐसा कोई घर आपने देखा है।
  6. कविता संग्रह : भग्नदूत, चिन्ता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्रधनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, पूर्वा (इत्यलम् तथा हरी घास पर क्षण भर), सुनहले शैवाल, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा, पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ, महावृक्ष के नीचे, नदी की बाँक पर छाया, प्रिज़न डेज़ एण्ड अदर पोयम्स (अंग्रेजी में) और ऐसा कोई घर आपने देखा है।
  7. प्रमुख कृतियां : कविता संग्रह: भग्नदूत, चिन्ता, इत्यलम्, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्रधनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आँगन के पार द्वार, पूर्वा (इत्यलम् तथा हरी घास पर क्षण भर), सुनहले शैवाल, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा, पहले मैं सन्नाटा बुनता हूँ, महावृक्ष के नीचे, नदी की बाँक पर छाया, प्रिज़न डेज़ एण्ड अदर पोयम्स (अंग्रेजी में) और ऐसा कोई घर आपने देखा है।
  8. १९६४ में आँगन के पार द्वार पर उन्हें साहित्य अकादमी का पुरस्कार प्राप्त हुआ और १९७९ में कितनी नावों में कितनी बार पर भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रमुख कृतियां कविता संग्रह भग्नदूत , इत्यलम, हरी घास पर क्षण भर, बावरा अहेरी, इंद्र धनु रौंदे हुए ये, अरी ओ करूणा प्रभामय, आंगन के पार द्वार, कितनी नावों में कितनी बार, क्योंकि मैं उसे जानता हूँ, सागर-मुद्रा, महावृक्ष के नीचे, और ऐसा कोई घर आपने देखा है।
  9. उनके कविता संग्रहों में भग्नदूत , इत्यलम् , हरी घास पर क्षण भर , बावरा अहेरी , इंद्र धनु रौंदे हुए ये , अरी ओ करूणा प्रभमय , ऑंगन के पार द्वार , कितनी नावों में कितनी बार , क्योंकि मैं उसे जानता हूॅं , सागर मुद्रा , पहले मैं सन्नाटा बुनता हूॅं , महावृक्ष के नीचे , नदी की बॉक पर छाया और ऐसा कोई घर आपने देखा है , है ;
  10. उनकी प्रारम्भिक रचनाएं विशेषतः ” भग्नदूत ' ( 1933 ) और ' इत्यलम ' ( 1946 ) की कविताएं काफ़ी रोमांटिक हैं किन्तु अपनी परवर्ती रचनाओं जैसे ' हरी घास पर क्षण भर ' ( 1949 ) , ' इंद्र धनुष रौंदे हुए ' ( 1957 ) , ' अरी ओ करुणा प्रभामय ' ( 1959 ) तथा ' आँगन के पार द्वार ' ( 1961 ) आदि में उन्होंने रोमानीपन से अपने को बहुत कुछ अलग किया है ।
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