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भैषज्य का अर्थ

भैषज्य अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. इनमें से 2 भाषाओं- असमिया और मलयालम में यह विकिप्रोजेक्ट पहले ही शुरू हो गया है और लेखों पर काम करना भी शुरू कर दिया गया है ( सचमुच बड़े विस्तृत लेखों पर) जो भैषज्य (
  2. इसी प्रकार अवेस्ता में संस्कृत के ओज , देव , भैषज्य , रोचयति , सोम , पूर्व्यो शब्दों के समानार्थक शब्द क्रमश : अओजो , दएव , बएषज्यो , रओचयेइति , सओम , पओउर्यो मिलते हैं।
  3. इसी प्रकार अवेस्ता में संस्कृत के ओज , देव , भैषज्य , रोचयति , सोम , पूर्व्यो शब्दों के समानार्थक शब्द क्रमश : अओजो , दएव , बएषज्यो , रओचयेइति , सओम , पओउर्यो मिलते हैं।
  4. ' आयुर्वेद सार संग्रह' और 'रसतंत्रसार व सिद्ध प्रयोग संग्रह' नामक ग्रंथों में भैषज्य रत्नावली का समर्थन करते हुए अनुभूत प्रयोगों के आधार पर इसके और भी उपयोग एवं लाभ बताए गए हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं।
  5. आयुर्वेद की दवाओं का विश्व कोष बतायी जाने वाली पुस्तक भारत भैषज्य रत्नाकर मे एक महत्व्पूर्ण योग दिया हुआ है , जिसके उपयोग से पुरुषों की बहुत सी sex related problems का इलाज किया जा सकता है /
  6. इनमें से 2 भाषाओं- असमिया और मलयालम में यह विकिप्रोजेक्ट पहले ही शुरू हो गया है और लेखों पर काम करना भी शुरू कर दिया गया है ( सचमुच बड़े विस्तृत लेखों पर ) जो भैषज्य ( medicine ) से सम्बन्धित हैं।
  7. ** भैषज्य रत्नावली के अनुसार निर्गुंडी रसायन शरीर का कायाकल्प करने में सक्षम है यह लम्बे समय तक मनुष्य को जवान बनाए रखता है , इसे बनने में पूरे एक माह लगते हैं , इसे किसी अनुभवी वैद्य से ही बनवाना चाहि ए.
  8. ग्रन्थ - रचनाकार चरक संहिता - चरक सुश्रुत संहिता - सुश्रुत अष्टांग हृदय - वाग्भट्ट वंगसेन - वंगसेन माधव निदान - मधवाचार्य भाव प्रकाश - भाव मिश्र इन ग्रन्थों के अतिरिक्त वैद्य विनोद , वैद्य मनोत्सव , भैषज्य रत्नावली , वैद्य जीवन आदि अन्य वैद्यकीय ग्रन्थ हैं।
  9. ग्रन्थ - रचनाकार चरक संहिता - चरक सुश्रुत संहिता - सुश्रुत अष्टांग हृदय - वाग्भट्ट वंगसेन - वंगसेन माधव निदान - मधवाचार्य भाव प्रकाश - भाव मिश्र इन ग्रन्थों के अतिरिक्त वैद्य विनोद , वैद्य मनोत्सव , भैषज्य रत्नावली , वैद्य जीवन आदि अन्य वैद्यकीय ग्रन्थ हैं।
  10. इनके विविध नामो की सूची भैषज्य पार्थक्यम ( स्वामी अनन्य वर्धन कृत ) , दिव्य वसुंधरा , भाव विभावरी , भैषज्य रत्नावली , भावार्थ रत्नाकर , भाव प्रकाश , शारंगधर संहिता , चरक संहिता तथा सुश्रुत उपाख्यानम आदि अनेक ऐसे ही ग्रंथो से प्राप्त किये जा सकते है।
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