मन बहलाना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- आशा जी ने नारी ब्लॉग पर कमेन्ट दिया था वहाँ से मे उनके ब्लॉग तक गयी और इस कविता को पढ़ा आप भी पढेस्वत्व पर मेरे पर्दा डाला , मुझको अपने जैसा ढाला ,बातों ही बातों में मेरा ,मन बहलाना चाहा ,स्वावलम्बी ना होने दिया ,अपने ढंग से जीने न दिया |तुमने जो खुशी...
- पानी पर बतख सुन्दरता तैर रहे हैं पार नहीं होना है अपने कुटुम्ब के साथ घूमना-फिरना है रोजी-रोटी जुटाना है और झील का मन बहलाना है मादा नर को रिझा रही है और नर मादा पर प्यार बरसा रहा है पानी पर बतख सुन्दरता तैर रहे हैं झील लहरों की रस्सी से आसमान झूल रही है पानी तरलता के रियाज़ में है !
- क्योकि कुछ वक्त काटना अलग बात है कुछ देर किसी की बातों से मन बहलाना अलग बात है कुछ देर किसी के कंधे पर सर रखना अलग बात है कुछ देर के लिए मुस्कुराना अलग है पर जब शादी होती है तो उसको निभाने के लिए उसके पीछे एक पूरी परंम्परा होती है और परम्परा निभाने के लिए रिश्तों में सब्र की ज़रूरत पड़ती है .
- हेलन अभी अभी लौट के आई हैं , और आज लंच पर मैंने उत्सुक्तावश उनसे ' जानवरों के होटल ' के बारे में पूछा . दस दिन का छः सौ डॉलर ( खाना-पीना , टहलाना , मन बहलाना इत्यादी मिला के ) और .... ब्रूक्स को ' थाईरोयेड ' है जिसके लिए रोज सुबह दवाई देनी होती है और जिसका खर्चा है बारह डॉलर प्रति दि न.
- हेलन अभी अभी लौट के आई हैं , और आज लंच पर मैंने उत्सुक्तावश उनसे ' जानवरों के होटल ' के बारे में पूछा . दस दिन का छः सौ डॉलर ( खाना-पीना , टहलाना , मन बहलाना इत्यादी मिला के ) और .... ब्रूक्स को ' थाईरोयेड ' है जिसके लिए रोज सुबह दवाई देनी होती है और जिसका खर्चा है बारह डॉलर प्रति दि न.
- इन्टरनेट- आधुनिक विश्व का एक ऐसा चमत्कार जिसके बिना ज़िन्दगी अधूरी है - नयी जानकारी चाहिए हो , सगे सम्बन्धियों को संदेश भेजना हो या बात करनी हो , बैंक का काम हो , बच्चों को पैसे भेजने हों , यात्रा करनी हो या खरीदारी या सिर्फ मन बहलाना हो -इन्टरनेट पर सब कुछ आपके घर में , आपके सामने , बिना उठे बस उँगली हिला के हो जाता है।
- क्योकि कुछ वक्त काटना अलग बात है कुछ देर किसी की बातों से मन बहलाना अलग बात है कुछ देर किसी के कंधे पर सर रखना अलग बात है कुछ देर के लिए मुस्कुराना अलग है पर जब शादी होती है तो उसको निभाने के लिए उसके पीछे एक पूरी परंम्परा होती है और परम्परा निभाने के लिए रिश्तों में सब्र की ज़रूरत पड़ती है . चांद और फिज़ा टीवी पर अच्छे लगते हैं पर जब फिज़ा बदलती है तो चांद कहां गायब हो जाता है पता भी नहीं चलता ...
- …… मैंने श्रद्धा से हाथ जोड़कर इस प्रेरणास्पद धरती , भारत माता के इस पावन भूखण्ड को प्रणाम किया ! गाड़ी आगे भागी , इसी रफ़्तार से मेरी कलम भी भागी ! फिर थोडा विश्राम करके मैंने सुशील वाली इंडिया-टुडे उठा ली ! मन बहलाना चाहता था पर उलटे नफरत से गुस्से का जो उबाल खौला , वह असक्षमता के कारण बेबसी में बदल गया ! निःसंदेह -दुर्भिक्ष- हमारी अपनी ही परछाईं हैं , और बेबसी से मेरे आंसू निकल पड़े ! { जंगल में मोर नाचा ; किसने देखा ? } !!?? _मैंने देखा !
- …… मैंने श्रद्धा से हाथ जोड़कर इस प्रेरणास्पद धरती , भारत माता के इस पावन भूखण्ड को प्रणाम किया ! गाड़ी आगे भागी , इसी रफ़्तार से मेरी कलम भी भागी ! फिर थोडा विश्राम करके मैंने सुशील वाली इंडिया-टुडे उठा ली ! मन बहलाना चाहता था पर उलटे नफरत से गुस्से का जो उबाल खौला , वह असक्षमता के कारण बेबसी में बदल गया ! निःसंदेह -दुर्भिक्ष- हमारी अपनी ही परछाईं हैं , और बेबसी से मेरे आंसू निकल पड़े ! { जंगल में मोर नाचा ; किसने देखा ? } !!?? _मैंने देखा !
- छीन लिया अपना जीने की ललक अभी बाकी है आशा जी ने नारी ब्लॉग पर कमेन्ट दिया था वहाँ से मे उनके ब्लॉग तक गयी और इस कविता को पढ़ा आप भी पढेस्वत्व पर मेरे पर्दा डाला , मुझको अपने जैसा ढाला ,बातों ही बातों में मेरा ,मन बहलाना चाहा ,स्वावलम्बी ना होने दिया ,अपने ढंग से जीने न दिया |तुमने जो खुशी चाही मुझसे ,उसमें खुद को भुलाने लगी ,अपना मन बहलाने लगी ,अपना अस्तित्व भूल बैठी ,मन की खुशियां मुझ से रूठीं ,मै तुम में ही खोने लगी |आखिर तुम हो विश्वास © 2008-10 सर्वाधिकार सुरक्षित!