महातल का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- विष्णुपुराण में पृथ्वी के दूसरी ओर के सात क्षेत्रों का वर्णन है- अतल , वितल , नितल , गर्भास्तमत ( भारत के एक खंड को भी कहते हैं ) , महातल , सुतल और पाताल।
- विष्णुपुराण में पृथ्वी के दूसरी ओर के सात क्षेत्रों का वर्णन है- अतल , वितल , नितल , गर्भास्तमत ( भारत के एक खंड को भी कहते हैं ) , महातल , सुतल और पाताल।
- तल , वितल , सुतल , तलातल , पाताल , धरातल और महातल को ऋषियों ने पहले ही जान लिया था उनकी व्याख्या “ सुखसागर ” आदि ग्रंथों में बहुत ही विस्तृत रूप से की गई है .
- नाम उनके हैं , अतल , वितल , सुतल , तलातल , रसातल , महातल , पाताल , परन्तु उनको नरक नहीं माना गया है , जैसा आप को देवी भागवत का प्रमाण पढ़ने से ज्ञात हो चुका है।
- नाम उनके हैं , अतल , वितल , सुतल , तलातल , रसातल , महातल , पाताल , परन्तु उनको नरक नहीं माना गया है , जैसा आप को देवी भागवत का प्रमाण पढ़ने से ज्ञात हो चुका है।
- तत्वज्ञानी पुरुषों के अनुसार पाताल विराट भगवान के तलवे , रसातल उनके पंजे , महातल उनकी एड़ी के ऊपर की गाँठें , तलातल उनकी पिंडली , सुतल उनके घुटने , वितल और अतल उनकी जाँघें तथा भूतल उनका पेडू है।
- तत्वज्ञानी पुरुषों के अनुसार पाताल विराट भगवान के तलवे , रसातल उनके पंजे , महातल उनकी एड़ी के ऊपर की गाँठें , तलातल उनकी पिंडली , सुतल उनके घुटने , वितल और अतल उनकी जाँघें तथा भूतल उनका पेडू है।
- ये पाताल लोक इस प्रकार से हैं : - # अतल # वितल # नितल # गभस्तिमान # महातल # सुतल # पाताल सुन्दर महलों से युक्त वहां की भूमियां शुक्ल, कृष्ण, अरुण और पीत वर्ण की तथा शर्करामयी (कंकरीली), शैली (पथरीली) और सुवर्णमयी हैं।
- ( i ) अतल ( ii ) वितल ( iii ) नितल ( iv ) गभस्तिमान ( v ) महातल ( vi ) सुतल ( vii ) पाताल सुन्दर महलों से युक्त वहां की भूमियां शुक्ल , कृष्ण , अरुण और पीत वर्ण की तथा शर्करामयी ( कंकरीली ) , शैली ( पथरीली ) और सुवर्णमयी हैं।
- यंत्र का बिंदुचक्र सत्यलोक , त्रिकोण तपोलोक , अष्टकोण जनलोक , अंतर्दशार महर्लोक , बहिर्दशार स्वर्लोक , चतुर्दशार भुवर्लोक , प्रथम वृत्त भूलोक , अष्टदल कमल अतल , अष्टदल कमल का बाह्य वृŸा वितल , षोडशदल कमल सुतल , वृŸात्रय या त्रिवृŸा तलातल , प्रथम रेखा भूपुर महातल , द्वितीय रेखा भूपुर रसातल और तृतीय रेखा भूपुर पाताल है।