माण्डूक्य का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- उपनिषद गद्य और पद्य दोनों में हैं , जिसमें प्रश्न, माण्डूक्य, केन, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक और कौषीतकि उपनिषद गद्य में हैं तथा केन, ईश, कठ और श्वेताश्वतर उपनिषद पद्य में हैं।
- तैत्तिरीय उपनिषद् 11 प्रमुख उपनिषदों ( ईश , ऐतरेय , कठ , केन , छान्दोग्य , तैत्तिरीय , बृहदारण्यक , माण्डूक्य , मुण्डक , प्रश्न , श्वेताश्वर ) में से एक है ।
- तैत्तिरीय उपनिषद् 11 प्रमुख उपनिषदों ( ईश , ऐतरेय , कठ , केन , छान्दोग्य , तैत्तिरीय , बृहदारण्यक , माण्डूक्य , मुण्डक , प्रश्न , श्वेताश्वर ) में से एक है ।
- शंकराचार्य ने ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुण्डक , माण्डूक्य , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छान्दोग्य , बृहद् आरण्यक और श्वेताश्वतर- इन ग्यारह उपनिषदों का भाष्य किया है और ये ही सर्वसुलभ हैं .
- शंकराचार्य ने ईश , केन , कठ , प्रश्न , मुण्डक , माण्डूक्य , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छान्दोग्य , बृहद् आरण्यक और श्वेताश्वतर- इन ग्यारह उपनिषदों का भाष्य किया है और ये ही सर्वसुलभ हैं .
- ‘ माण्डूक्य ' उपनिषद् में शरीर , आत्मा , तथा परमात्मा को क्रमशः घट ( घड़ा ) , उसके भीतर सीमाबद्ध आकाश , और बाहर अनंत तक फैले आकाश से तुलना के माध्यम से समझाया गया है ।
- उपनिषद गद्य और पद्य दोनों में हैं , जिसमें प्रश्न , माण्डूक्य , केन , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छान्दोग्य , बृहदारण्यक और कौषीतकि उपनिषद गद्य में हैं तथा केन , ईश , कठ और श्वेताश्वतर उपनिषद पद्य में हैं।
- उपनिषद गद्य और पद्य दोनों में हैं , जिसमें प्रश्न , माण्डूक्य , केन , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छान्दोग्य , बृहदारण्यक और कौषीतकि उपनिषद गद्य में हैं तथा केन , ईश , कठ और श्वेताश्वतर उपनिषद पद्य में हैं।
- मुक्तिकोपनिषद् चारों वेदों से सम्बद्ध 102 उपनिषद् गिनाये गये हैं , किन्तु 11 उपनिषद् ही अधिक प्रसिद्ध हैं-ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, माण्डूक्य, तैत्तिरीय, ऐतरेय, छान्दोग्य, बृहदारण्यक और श्वेताश्वतर इनमें छान्दोग्य और बृहदारण्यक अधिक प्राचीन और महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।
- उपनिषद गद्य और पद्य दोनों में हैं , जिसमें प्रश्न , माण्डूक्य , केन , तैत्तिरीय , ऐतरेय , छान्दोग्य , बृहदारण्यक और कौषीतकि उपनिषद गद्य में हैं तथा केन , ईश , कठ और श्वेताश्वतर उपनिषद पद्य में हैं।