मानापमान का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- परन्तु उनकी उस भिक्षा को स्वामी श्रीअखण्डानन्द सरस्वती जी ने अमृत भिक्षा बताया-यह कौतुक महाराजश्री ने इसीलिए किया कि साधक का अहंकार चूर्ण हो जाए , मानापमान में समता की स्थिति प्राप्त हो जाए ।
- परन्तु उनकी उस भिक्षा को स्वामी श्रीअखण्डानन्द सरस्वती जी ने अमृत भिक्षा बताया-यह कौतुक महाराजश्री ने इसीलिए किया कि साधक का अहंकार चूर्ण हो जाए , मानापमान में समता की स्थिति प्राप्त हो जाए ।
- यह सत्ता मन की जाग्रत् अवस्था में भी , वासना और अशांति की परिस्थितियों के मौजूद होते हुए भी तथा शीतोष्ण , सुख- दुःख , मानापमान आदि द्वंद्वों की स्थिति में भी समाहित रहती है।
- यह सत्ता मन की जाग्रत् अवस्था में भी , वासना और अशांति की परिस्थितियों के मौजूद होते हुए भी तथा शीतोष्ण , सुख- दुःख , मानापमान आदि द्वंद्वों की स्थिति में भी समाहित रहती है।
- अर्थात् वह व्यक्ति , जिसने अपनी इंद्रियों को नियंत्रित कर लिया है और जिसके अंतःकरण की वृत्तियाँ भलीभाँति शांत हैं , उसका मन सरदी- गरमी , सुख- दुःख और मानापमान में निरंतर सच्चिदानंदघन परमात्मा में ही नियोजित रहता है।
- १९१० से मराठी रंगमंच ने सुवर्णकाल देखा , जिसमें किर्लोस्कर और गोविंद बल्लाल देवल के बाद कृष्णाजी प्रभाकर खाडिलकर, राम गणेश गडकरी जैसे सिद्धहस्त लेखकों ने 'मानापमान', 'स्वयंवर', 'एकच प्याला' जैसे अनेक अजरामर नाटकों को जन्म दिया, जिनका मंचन आज भी हो रहा है।
- कहा गया है कि “ असम्मानात् तपोवृद्धि सम्मानात्तु तपः क्षयः ' ' अर्थात् असम्मान से तपस्या में वृद्धि होती है और सम्मान से तपस्या का क्षय होता है , ह्रास होता है अतः मानापमान अथवा उपेक्षा के भय से स्थितियों से पलायन करना अविवेकपूर्ण पग है।
- सच मीडिया यदि चाहे तो देश की किसी भी कमी को सकारात्मक रूप में भी परोस सकता है , परन्तु लगता है देश का मानापमान ताक पर रखकर अपनी टी आर पी बढाने के चक्कर में उसकी चिंता नमक मिर्च लगाकर विश्वपटल पर अपनी बात रखना है .
- १ ९ १ ० से मराठी रंगमंच ने सुवर्णकाल देखा , जिसमें किर्लोस् कर और गोविंद बल् लाल देवल के बाद कृष् णाजी प्रभाकर खाडिलकर , राम गणेश गडकरी जैसे सिद्धहस् त लेखकों ने ' मानापमान ' , ' स् वयंवर ' , ' एकच प् याला ' जैसे अनेक अजरामर नाटकों को जन् म दिया , जिनका मंचन आज भी हो रहा है।
- १ ९ १ ० से मराठी रंगमंच ने सुवर्णकाल देखा , जिसमें किर्लोस् कर और गोविंद बल् लाल देवल के बाद कृष् णाजी प्रभाकर खाडिलकर , राम गणेश गडकरी जैसे सिद्धहस् त लेखकों ने ' मानापमान ' , ' स् वयंवर ' , ' एकच प् याला ' जैसे अनेक अजरामर नाटकों को जन् म दिया , जिनका मंचन आज भी हो रहा है।