मार्कंडेय पुराण का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मार्कंडेय पुराण में लिखा है कि मूर्ती के सामने त्रिकोण बना कर उसके नवो त्रिकोण पर बेसन के 27 लड्डू चाधायें कात्यायनी देवी- वृहस्पतिवार को पूजी जाने वाली कात्यायनी देवी के परम्परागत रूप में नवरात्री के छठे दिन पूजन का विधान है .
- श्री मार्कंडेय पुराण में वर्णित है कि देवासुर संग्राम में महाकाली के रुद्र स्वरूप देवी कौशिकी ने सर्वकल्याणकारी मां जगदम्बा के आदेश पर महाबली असुर सम्राट शुम्भ तथा निशुम्भ के सेनापति चंड तथा मुंड का वध किया तथा महाकाली के उस रूप को चामुंडा का नाम दिया।
- 4 . मार्कंडेय पुराण के अनुसार श्राद्ध से संतुष्ट होकर पितर श्राद्धकर्ता को दीर्घायु , संतति , धन , विघ्या , सभी प्रकार के सुख और मरणोपरांत स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करते हैं . 5 . अत्री संहिता के अनुसार श्राद्धकर्ता परमगति को प्राप्त होता है .
- 4 . मार्कंडेय पुराण के अनुसार श्राद्ध से संतुष्ट होकर पितर श्राद्धकर्ता को दीर्घायु , संतति , धन , विघ्या , सभी प्रकार के सुख और मरणोपरांत स्वर्ग एवं मोक्ष प्रदान करते हैं . 5 . अत्री संहिता के अनुसार श्राद्धकर्ता परमगति को प्राप्त होता है .
- जैसे सप्तशती चंडी को मार्कंडेय पुराण का एक क्षुद्र अंश होते हुए भी , एक पृथक ग्रन्थ के रूप में मान्यता प्राप्त है , ठीक उसी प्रकार सप्तशती गीता भी शतसहस्री संहिता महाभारत का एक क्षुद्रातीक्षुद्र अंश होते हुए भी एक पृथक ग्रन्थ के रूप में स्वीकृत है .
- मूलतः मार्कंडेय पुराण में सदियों पहले वर्णित किया , और श्री माताजी निर्मला देवी द्वारा फिर से इस बारे मे वर्णित किया गया,कि सहज योग ध्यान हमें सिखाता है हमारे अपने दिव्य ऊर्जा (कुंडलिनी)को उपर जगाने और छह चक्रो को पार करते हुये, सिर के ऊपर से बाहर निकल कर परम शक्ति से मिलाता है.
- नवरात्रि के महत्त्व के विषय में विवरण मार्कंडेय पुराण , वामन पुराण , वाराह पुराण , शिव पुराण , स्कन्द पुराण और देवी भागवत आदि पुराणों में उपलब्ध होता है | इन पुराणों में देवी दुर्गा के द्वारा महिषासुर के मर्दन का उल्लेख उपलब्ध होता है | महिषासुर मर्दन की इस कथा को “
- मार्कंडेय पुराण के अनुसार पहले यह सम्पूर्ण जगत प्रकाश रहित था | उस समय कमलयोनि ब्रह्मा जी प्रगट हुए | उनके मुख से प्रथम शब्द ॐ निकला जो सूर्य का तेज रुपी सूक्ष्म रूप था | तत्पश्चात ब्रह्मा जी के चार मुखों से चार वेद प्रगट हुए जो ॐ के तेज में एकाकार हो गये |
- मार्कंडेय पुराण के अनुसार पहले यह सम्पूर्ण जगत प्रकाश रहित था | उस समय कमलयोनि ब्रह्मा जी प्रगट हुए | उनके मुख से प्रथम शब्द ॐ निकला जो सूर्य का तेज रुपी सूक्ष्म रूप था | तत्पश्चात ब्रह्मा जी के चार मुखों से चार वेद प्रगट हुए जो ॐ के तेज में एकाकार हो गये |
- श्री मार्कंडेय पुराण में नारी के रूप में , विश्व में व्याप्त शक्ति का एक पुंज दिखाया गया है जो स्वयं में केंद्रित होकर तमोगुणों के प्रतीक अति शक्तिशाली राक्षसों का भी संहार कर सकती है तथा इसके साथ ही नारी को त्याग , वैभव व दया का स्वरूप दिखाकर , उसके बालिका स्वरूप को भी देवी का दर्जा दे दिया गया है।