मिसकीन का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- लेकिन मुस्लिम समाज का एक बड़ा हिस्सा शुरूआत से ही अपनी ग़ुरबत की वजह से ईद की खुशियों में बराबर से शरीक नहीं हो पाता था अतः सदक़ातुल फित्र के ज़रिए ऐसे तमाम ग़रीब , मिसकीन , बेवा और यतीम लोग अपने / परिवार के साथ कुछ अच्छा पका-खा और पहन-ओढ़ सकें , ऐसा निज़ाम क़ायम किया गया।
- लेकिन मुस्लिम समाज का एक बड़ा हिस्सा शुरूआत से ही अपनी ग़ुरबत की वजह से ईद की खुशियों में बराबर से शरीक नहीं हो पाता था अतः सदक़ातुल फित्र के ज़रिए ऐसे तमाम ग़रीब , मिसकीन , बेवा और यतीम लोग अपने / परिवार के साथ कुछ अच्छा पका-खा और पहन-ओढ़ सकें , ऐसा निज़ाम क़ायम किया गया।
- काश के ये ईदुलफित्र दुनिया के तमाम मुसलमानों को औरतों का एहतराम करने , मुस्तदअफीन ( यतीम , मिसकीन , बेवाओं और वंचित तबक़ों ) के लिए रहम , हमदर्दी और इंसानी समाज में अमन क़ायम रखने के लिए , इंसाफ़ की आवाज़ बुलंद करते हुए , ताक़तवर तबक़ों के खि़लाफ़ एकजुट जंग छेड़ने की समझ पैदा कर दे।
- काश के ये ईदुलफित्र दुनिया के तमाम मुसलमानों को औरतों का एहतराम करने , मुस्तदअफीन ( यतीम , मिसकीन , बेवाओं और वंचित तबक़ों ) के लिए रहम , हमदर्दी और इंसानी समाज में अमन क़ायम रखने के लिए , इंसाफ़ की आवाज़ बुलंद करते हुए , ताक़तवर तबक़ों के खि़लाफ़ एकजुट जंग छेड़ने की समझ पैदा कर दे।
- दुनिया के किसी मज़हब मे ऐसी मिसाल नही मिलती जो लोगो को निकाह के नाम पर इतनी सहूलत फ़राहम करे | बावजूद इसके लोग आज वलीमे के नाम पर भी कम्पीटीशन करते हैं और ये गुमान करते हैं के उनका वलीमा दूसरो से अच्छा हैं और तो और वलीमे की इस अज़ीम सुन्नत के नाम पर दावती खाने पर भी लोग तफ़रका करते हैं और अकसर वलीमा मे गुरबा और मिसकीन को दावत नही देते | ऐसे लोगो के लिये नबी सल्लललाहो अलेहे वसल्लम का फ़रमान हैं-
- तीसरा : जिसका फिद्या तीन दिन के रोज़े रखना है , चाहे वे लगातार हों और यदि चाहे तो अलग अलग हों , या एक बकरी ज़बह करना है जो क़ुर्बानी में किफायत करती हो , या जो उसके स्थान में हो जैसे कि ऊँट का सातवां भाग या गाय का सातवां भाग , और वह गोश्त को गरीबों में बांट दे , और उस में से स्वयं कुछ न खाए , या छः गरीबों को खाना खिलाना है , हर मिसकीन को खाई जाने वाली चीज़ों में से आधा साअ की मात्रा में।