मुण्डकोपनिषद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ' मुण्डकोपनिषद ' में आता है कि ' जिसको इस लोक का यश और सुख-सुविधा चाहिए वह भी ज्ञानवान का पूजन करे और मरने के बाद किसी ऊँचे लोक में जाना हो तब भी ज्ञानवान की पूजा करे।
- ' मुण्डकोपनिषद ' में आता है कि ' जिसको इस लोक का यश और सुख-सुविधा चाहिए वह भी ज्ञानवान का पूजन करे और मरने के बाद किसी ऊँचे लोक में जाना हो तब भी ज्ञानवान की पूजा करे।
- ' मुण्डकोपनिषद ' में आता है कि ' जिसको इस लोक का यश और सुख-सुविधा चाहिए वह भी ज्ञानवान का पूजन करे और मरने के बाद किसी ऊँचे लोक में जाना हो तब भी ज्ञानवान की पूजा करे।
- 12 . सत्यमेव जयते || ये दो शब्द , मुण्डकोपनिषद से पहले सम्राट अशोक ने लिया ओर बनारस के पास सारनाथ में अपने स्तंभ ( अशोक स्तंभ ) पर ” देवनागरी ” में खुदवाया जिसे हमारे देश के ” आदर्श वाक्य ” के रूप में ओर उस स्तंभ को ”
- 12 . सत्यमेव जयते || ये दो शब्द , मुण्डकोपनिषद से पहले सम्राट अशोक ने लिया ओर बनारस के पास सारनाथ में अपने स्तंभ ( अशोक स्तंभ ) पर ” देवनागरी ” में खुदवाया जिसे हमारे देश के ” आदर्श वाक्य ” के रूप में ओर उस स्तंभ को ”
- तथापि मुण्डकोपनिषद की मान्यता है कि वेद चार हैं- ' ऋग्वेदो यजुर्वेद : सामवेदो ऽथर्ववेद : ॥ ' balloon title = “ ( 1 ) ऋग्वेद , ( 2 ) यजुर्वेद , ( 3 ) सामवेद और ( 4 ) अथर्ववेद। ” style = “ color : blue ” > * / balloon > इन वेदों के चार उपवेद इस प्रकार हैं - आयुर्वेदो धनुर्वेदो गान्धर्वश्र्चेति ते त्रय : ।