मेघमाला का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- 29 सितंबर : स्नान-दान-श्राद्ध की सोमवती अमावस्या, पितृ-विसर्जनी अमावस, समस्त तिथियों और अज्ञात तिथि वाले पितरों का श्राद्ध, अक्षयतृप्तिकारक गजच्छाया योग प्रात: 8.56 से, पितृ-विसर्जन और श्राद्ध अपराह्न 1.42 बजे से पूर्व, पित्रामावसी (जम्मू-कश्मीर), मेला-गयाजी (बिहार), पिहोवा तीर्थ (हरियाणा), मेघमाला व्रत पूर्ण (जैन)
- आ मेरे प्यारे तृषित ! श्रान्त ! अन्त : सर में मज्जित करके , हर लूँगी मन की तपित चँदनी , फूलों से सज्जित करके रसमयी मेघमाला बनकर मैं तुझे घेर छा जाऊँगी फूलों की छाँह तले अपने अधरों की सुधा पिलाऊँगी।
- जैसे प्रभात का सूर्य तरंगाकृति मेघमाला को क्रमश : सुवर्णरंग से रंजित कर स्वयं प्रदीप्त होता है , दिग्मण्डल को आलोकित करता है , स्थल , जल , कीट-पतंग सबको प्रफुल्ल करता है- वैसे ही उस शांत देह में आनंदमयी शोभा का संचार हो रहा था।
- गुरुदेव क्या ये मेरा भ्रम था या सत्य था ? बाबा ने पूछाः “ मेघमाले ! तुमने वहाँ रक्त भी देखा था ? जब मेघमाला ने कहा कि उसने रक्त नहीं देखा था, तब बाबा जी ने कहा किः ” उस स्थिति में आश्चर्य की क्या बात है ?
- * जैसे मेघों की घटा में बिजली चमकती है , उसी प्रकार जो कैटभशत्रु श्रीविष्णु के काली मेघमाला के श्यामसुंदर वक्षस्थल पर प्रकाशित होती है, जिन्होंने अपने आविर्भाव से भृगुवंश को आनंदित किया है तथा जो समस्त लोकों की जननी है, उन भगवती लक्ष्मी की पूजनीय मूर्ति मुझे कल्याण प्रदान करे।
- * जैसे मेघों की घटा में बिजली चमकती है , उसी प्रकार जो कैटभशत्रु श्रीविष्णु के काली मेघमाला के श्यामसुंदर वक्षस्थल पर प्रकाशित होती है, जिन्होंने अपने आविर्भाव से भृगुवंश को आनंदित किया है तथा जो समस्त लोकों की जननी है, उन भगवती लक्ष्मी की पूजनीय मूर्ति मुझे कल्याण प्रदान करे।
- जैसे मेघों की घटा में बिजली चमकती है , उसी प्रकार जो कैटभशत्रु श्रीविष्णु के काली मेघमाला के श्यामसुंदर वक्षस्थल पर प्रकाशित होती है , जिन्होंने अपने आविर्भाव से भृगुवंश को आनंदित किया है तथा जो समस्त लोकों की जननी है , उन भगवती लक्ष्मी की पूजनीय मूर्ति मुझे कल्याण प्रदान करें
- रसमयी मेघमाला बनकर मैं तुझे घेर छा जाऊँगी , फूलों की छन्ह-तले अपने अधरों की सुधा पिलाऊँगी - - पुरुरवा तुम मेरे बहुरंगे स्वप्न की मणि-कुट्टिम प्रतिमा हो, नहीं मोहती हो केवल तन की प्रसन्न द्युति से ही, पर, गति की भंगिमा-लहर से, स्वर से, किलकिंचित से, और गूढ़ दर्शन-चिंतन से भरी उक्तियों से भी.
- संसार में हर देश से साम्प्रदायिक झगड़े , देशों और सूबों के झगड़े तभी खत्म होंगे जब मानव जाति के सभी व्यक्ति मानवता के मार्ग पर चलें , मनुष्य बनो की शिक्षा के मुताबिक चलते हुए , जिसे थोड़े शब्दों में इस मेघमाला पुस्तक में लिखा है , उसको समझ कर वे मानवता को एक प्लेटफार्म पर लाएँ.
- मुनिजी , आज यहाँ पर सूखे समुद्र के सदृश गम्भीर जो यह विशाल गड्ढा दिखाई देता है , वह कल मेघमाला से परिवेष्टित पर्वत बन जाता है और जो आज यहाँ पर विविध वनश्रेणियों से परिपूर्ण गनगनचुम्बी महापर्वत दिखाई देता है , कुछ ही दिनों में वही समतल पृथिवी के रूप में या गम्भीर कुएँ के रूप में परिणत हो जाता है।