मेहमानदारी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- भारत की अर्थव् यवस् था में जिस तरह की तेजी दिख रही है और बदलाव आए हैं वे कम से कम अगले तीन चार साल तो रहेंगे और यही वजह है कि मेहमानदारी क्षेत्र में गर्मी बनी रहेगी।
- नीची नजर किए , बहुत ही धीमी आवाज में ( शायद यह कोशिश करते हुए कि कोई सुन न ले ) वे बोले - ‘ विष्णुजी ! बारात के लिए मैंने जो कुछ किया , वह तो मेहमानदारी था।
- इसके पश्चात उसने पत्नी रूकमणि , पुत्री नयना व विनिता तथा अपने साले दिनेश की मेहमानदारी में आई पुत्री रितु पर भी चाकुओं से हमला बोला और इसके पश्चात वह पडौस में ही स्थित रबर फैक्ट्री की छत पर पहुंच गया।
- पाठक , दोनों कुमारों के बारात की सजावट , महफिलों की तैयारी , रोशनी और आतिशबाजी की खूबी , मेहमानदारी की तारीफ और खैरात की बहुतायत इत्यादि का हाल विस्तारपूर्वक लिखकर पढ़ने वालों का समय नष्ट करना हमारी आत्मा और आदत के विरुद्ध है।
- पाठक , दोनों कुमारों के बारात की सजावट , महफिलों की तैयारी , रोशनी और आतिशबाजी की खूबी , मेहमानदारी की तारीफ और खैरात की बहुतायत इत्यादि का हाल विस्तारपूर्वक लिखकर पढ़ने वालों का समय नष्ट करना हमारी आत्मा और आदत के विरुद्ध है।
- काश , आज अपना मकान होता , सजा-संवरा , मैं इस काबिल होता कि हेलेन की मेहमानदारी कर सकता , इससे ज्यादा खुशनसीबी और क्या हो सकती थी लेकिन बेसरोसामनी का बुरा हो ! मैं यही सोच रहा था कि हेलेन ने कुली से असबाब उठावाया और बाहर आकर एक टैक्सी बुला ली।
- ये बराबर नहीं { 18 } जो ईमान लाए और अच्छे काम किये उनके लिये बसने के बाग़ हैं , उनके कामों के सिले में मेहमानदारी ( 16 ) { 19 } ( 16 ) यानी ईमान वाले नेक बन्दों की जन्नते-मावा में अत्यन्त सम्मान व सत्कार के साथ मेहमानदारी की जाएगी .
- ये बराबर नहीं { 18 } जो ईमान लाए और अच्छे काम किये उनके लिये बसने के बाग़ हैं , उनके कामों के सिले में मेहमानदारी ( 16 ) { 19 } ( 16 ) यानी ईमान वाले नेक बन्दों की जन्नते-मावा में अत्यन्त सम्मान व सत्कार के साथ मेहमानदारी की जाएगी .
- ( 3 ) क्योंकि कुफ़्र की हालत के कर्म मक़बूल नहीं , न मेहमानदारी न हाजियों की ख़िदमत , न क़ैदियों का रिहा कराना , इसलिये कि काफ़िर का कोई काम अल्लाह के लिये तो होता नहीं , लिहाज़ा उसका अमल सब अकारत है , और अगर वह उसी कुफ़्र पर मरजाए तो जहन्नम में उनके लिये हमेशा का अज़ाब है .
- अब बताइए , होगा जम्बो जेट में सफर का ऐसा मज़ा ? रही संसद सदस्य की मेहमानदारी की , सो हम अभी वह दिन नहीं भूले जब एक जानकार दिल्लीवाले के साथ किसी सदस्य के ठाठदार फ्लैट में गये थे तो देखा था कि भीतर के बरामदे में एक भैंस पसरी हुई पगरा रही है ; एम . पी . साहब स्वयं आँगन में खाट पर बैठे धूप सेंक रहे हैं !