मैनाक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- समुद्र लाँघते समय मैनाक पर्वत का ऊपर उभरकर हनुमान को आश्रय देना और उससे वार्तालाप करना , पत्थर का नारी में परिवर्तित हो जाना इसी स्तिथि का एक नमूना है।
- तैं मैनाक होहि श्रम हारी॥5॥भावार्थ : -समुद्र ने उन्हें श्री रघुनाथजी का दूत समझकर मैनाक पर्वत से कहा कि हे मैनाक! तू इनकी थकावट दूर करने वाला हो (अर्थात् अपने ऊपर इन्हें विश्राम
- तैं मैनाक होहि श्रम हारी॥5॥भावार्थ : -समुद्र ने उन्हें श्री रघुनाथजी का दूत समझकर मैनाक पर्वत से कहा कि हे मैनाक! तू इनकी थकावट दूर करने वाला हो (अर्थात् अपने ऊपर इन्हें विश्राम
- तैं मैनाक होहि श्रम हारी॥5॥भावार्थ : -समुद्र ने उन्हें श्री रघुनाथजी का दूत समझकर मैनाक पर्वत से कहा कि हे मैनाक! तू इनकी थकावट दूर करने वाला हो (अर्थात् अपने ऊपर इन्हें विश्राम
- वाल्मीकि रामायण का यह प्रसंग मुझे थोडा विस्मृत सा हो रहा था ! हाँ मैनाक पर्वत चलायमान है इसलिए ऊपर आया और हनुमान के स्पर्श मात्र के उपरान्त फिर नीचे गया !
- मैनाक पर्वत वाली कविता में , मैंने मैनाक नाम केवल इसलिए लिया था की मैनाक पर्वत धरती पर विराजमान है और मैंने किसी पौराणिक कथा को सज्ञान में लेते हुए नहीं लिखा था .
- मैनाक पर्वत वाली कविता में , मैंने मैनाक नाम केवल इसलिए लिया था की मैनाक पर्वत धरती पर विराजमान है और मैंने किसी पौराणिक कथा को सज्ञान में लेते हुए नहीं लिखा था .
- मैनाक पर्वत वाली कविता में , मैंने मैनाक नाम केवल इसलिए लिया था की मैनाक पर्वत धरती पर विराजमान है और मैंने किसी पौराणिक कथा को सज्ञान में लेते हुए नहीं लिखा था .
- देविका अथवा देग का स्रोत मैनाक पर्वतमाला ( शिवालिक) में ज6मू क्षेत्र के जसरोता के आंचल में से आरंभ होता है, मगर उस पर्वतमाला पर क्योंकि हिमपात नहीं होता, इसलिए देविका का स्वभाव अब सदानीरा नहीं रहा।
- विश्वासहीन सी . .. देविका अथवा देग का स्रोत मैनाक पर्वतमाला (शिवालिक) में जम्मू क्षेत्र के जसरोता के आंचल में से आरंभ होता है, मगर उस पर्वतमाला पर क्योंकि हिमपात नहीं होता, इसलिए देविका का स्वभाव अब सदानीरा नहीं रहा।