योगमुद्रा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- खास लोग भी अनावश् यक व् यस् तता के कारण जीवन का वैसा सुख-चैन कहां प्राप् त कर पा रहे हैं , जिसका अनुभव मुझे आज योगमुद्रा में बैठकर प्रकृति को देखकर हुआ।
- इसके अलावा सिर की ओर रक्त संचार तेज करने के लिए सर्वांगासन , पादहस्तासन , पश्चिमोत्तान आदि आसनों तथा योगमुद्रा , शिथिलीकरण , प्राणायाम और ध्यान करके भी बालों की जड़ों को पोषण दिया जा सकता है।
- प्रमुख मुद्राएँ : 1 . महामुद्रा 2 . महाभेद 3 . योगमुद्रा 4 . विपरीतकरणीमुद्रा 5 . योनिमुद्रा 6 . उन्मनीमुद्रा 7 . शाम्भवीमुद्रा 8 . काकीमुद्रा 9 . अश्विनिमुद्रा 10 . मातंगिनीमुद्रा 11 . खेरचीमुद्रा 12 . शक्तिचालिनीमुद्रा 13 .
- प्रमुख मुद्राएँ : 1 . महामुद्रा 2 . महाभेद 3 . योगमुद्रा 4 . विपरीतकरणीमुद्रा 5 . योनिमुद्रा 6 . उन्मनीमुद्रा 7 . शाम्भवीमुद्रा 8 . काकीमुद्रा 9 . अश्विनिमुद्रा 10 . मातंगिनीमुद्रा 11 . खेरचीमुद्रा 12 . शक्तिचालिनीमुद्रा 13 .
- ‘ सिन्धु घाटी की अनेक सीलों में उत्कीर्ण देवमूर्तियाँ न केवल बैठी हुई योगमुद्रा में हैं और सुदूर अतीत में सिन्धु घाटी में योग के प्रचलन की साक्षी है अपितु खड़ी हुई देवमूर्तियाँ भी हैं जो कायोत्सर्ग मुद्रा को प्रदर्शित करती है … ।
- दृष्टिबाधितों के लिए मुख्य रूप से ताड़ासन , त्रिकोण आसन , हस्तपादासन , उत्करासन , अग्निसार क्रिया , कंधे , गरदन का संचालन , ब्रह्ममुद्रा , मार्जरासन , शशकासन , पद्मासन , योगमुद्रा , भुजंगासन , शलभासन , धनुरासन , सर्वांगासन एवं शवासन के साथ नाड़ी शोधन , भ्रामरी प्राणायाम किया जा सकता है।
- दृष्टिबाधितों के लिए मुख्य रूप से ताड़ासन , त्रिकोण आसन , हस्तपादासन , उत्करासन , अग्निसार क्रिया , कंधे , गरदन का संचालन , ब्रह्ममुद्रा , मार्जरासन , शशकासन , पद्मासन , योगमुद्रा , भुजंगासन , शलभासन , धनुरासन , सर्वांगासन एवं शवासन के साथ नाड़ी शोधन , भ्रामरी प्राणायाम किया जा सकता है।
- श्री त्रिमुख गणपति - तीन मुख वाले , छ : भुजाधारी , रक्तवर्ण शरीरधारी श्री योग गणपति - योगमुद्रा में विराजित , नीले वस्त्र पहने , चार भुजाधारी श्री सिंह गणपति - श्वेत वर्णी आठ भुजाधारी , सिंह के मुख और हाथी की सूंड वाले श्री संकष्ट हरण गणपति - चार भुजाधारी , रक्तवर्णी शरीर , हीरा जडि़त मुकूट पहने।
- क् र . ५ ) सवितुः ( योग मुद्रा ) विधि- अब श्वास छोड़ते हुए पहले की तरह पंजों पर बैठने की स्थिति में आयें , साथ ही दोनों हाथ पीछे पीठ की ओर ले जायें व दोनों हाथ की अंगुलियाँ आपस में फैलाकर धीरे- धीरे दोनों हाथ ऊपर की ओर खींचे और मस्तक भूमि से स्पर्श कराने का प्रयास ‘ योगमुद्रा ' ( चित्र नं . ५ ) की तरह करें।
- ( ये कविता मैंने पुरुष मन से लिखने की कोशिश की है आप सब भी पढ़िए तो ज़रा और बताइए कैसी लगी ) मैं आखें करके कल्पना करता हूँ एक आईलैंड की किसी योगमुद्रा में भरता हूँ एक लम्बा उच्छ्वास तुम्हारे नर्म तलुवों से सटा देता हूँ अपना पांव और कहता हूँ कि ज़िंदगी खूबसूरत है ठीक उसी समय तुम अपने नाखूनों पर नेल पेंट की एक नयी परत चढ़ाती हो और कहती हो सचमुच ज़िंदगी खूबसूरत है ...................................................... संध्या