रंडापा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- हमे कहे और फिर हमारी प्रतिक्रया के लिये तैयार रहे पर जब भी विधवा शब्द “ रंडापा टॉइप स्यापा ” “ और छिनाल इत्यादि का प्रयोग करने ” आम ” के लिये नहीं नाम लेकर करे . इतनी हिम्मत रखें .
- संतोष त्रिवेदी को किसी महिला ब्लॉगर के लिए रंडापा शब्द का उपयोग नारीवाद लगता है , क्या यही शब्द वो अपनी माँ-बहन-बेटी-पत्नी के लिए प्रयुक्त कर सकता है ? क्या तुम अपनी माँ-बहन-बेटी-पत्नी की बातों को विधवा विलाप कह सकते हो ? शर्म आनी चाहिए।
- किसी भी ऐसे कांड पर रंडापा खड़ा करना मीडिया की व्यावसायिक मजबूरी है लेकिन हमारे कथित कद्दावर राजनीतिकों , समाजविदें , सामाजिक संगठनों , मनोवैज्ञानिक जमातों की ऐसी कौन-सी मजबूरी है कि उन्होंने अपने सारे स्वर इस हाहाकारी फांसी कोरस के हवाले कर दिये हैं।
- यदि नारी की इतनी ही चिंता है तो संतोष त्रिवेदी का “ रंडापा ” क्यों रास आ रहा है तुम्हे ? और खुद का “ विधवा विलाप ” क्यों भूल जाते हो ? इन शब्दों के द्वारा तो जैसे तुम नारी को सम्मान के शिखर पर पहुंचा रहे हो न ?
- एक दिन कुछ बात चल रही थी और उनके मुँह से बेसाख्ता निकला , “रांड तो रंडापा काट ले, पर रंडुये नहीं काटने देते” है तो यह एक साधारण सा मुहावरा, लेकिन हमारा खास भोला ये सुनकर एकदम से ताव में आकर बोला, “माताजी, तुस्सी सान्नूं दस्सो, त्वानूं कौन तंग करदा है?
- म्हने भी या वात समझ नी पड़ी री हे कि अणी अतरा म्होटा मुलक में जठे कदम कदम पे समस्या का रंडापा हे वठे एक हीरोइन की जचकी में टीवी चैनल्स को अतरो अंदर उतरवा को कई कारण हे . म्हाने कारण यो नजर आवे हे कि अणाँ बापड़ा चैनल वारा होण का पास कोई खबर ईज कोनी.
- एक दिन कुछ बात चल रही थी और उनके मुँह से बेसाख्ता निकला , “ रांड तो रंडापा काट ले , पर रंडुये नहीं काटने देते ” है तो यह एक साधारण सा मुहावरा , लेकिन हमारा खास भोला ये सुनकर एकदम से ताव में आकर बोला , ” माताजी , तुस्सी सान्नूं दस्सो , त्वानूं कौन तंग करदा है ?
- अब ये रंडापा शब्द उन नारीवादियों के लिये हुआ ना की उस पोस्ट लेखिका के लिये और अगर उस पोस्ट लेखिका के लिये भी हैं तो भी क्या आप अपने ब्लॉग पर इस प्रकार की भाषा को स्वीकार कर रहे हैं कमेन्ट में , क्या ये आप को मान्य हैं या अपने अधिकार के साथ आप इस कमेन्ट को डिलीट करना चाहेगे .
- मुझे से आप नाराज़ हैं , जील से आप नाराज हैं , अंशुमाला से आप नाराज हैं , मुक्ति से आप नाराज हैं , कोई बात नहीं जितने शब्द , अपशब्द कहने हैं हमारा नाम लेकर कहे , लेकिन हमारी वजह से नारीवादियों को विधवा ना कहे , उनके लेखन को विधवा और “ रंडापा टॉइप स्यापा ” ” कह कर उनका अपमान ना करे
- अच्छी वात हे , कणी को वंस वदे तो म्हाने भी खुसी वे.पण म्हने या वात समझ नी पड़ी री हे कि अणी अतरा म्होटा मुलक में जठे कदम कदम पे समस्या का रंडापा हे वठे एक हीरोइन की जचकी में टीवी चैनल्स को अतरो अंदर उतरवा को कई कारण हे.म्हाने कारण यो नजर आवे हे कि अणाँ बापड़ा चैनल वारा होण का पास कोई खबर ईज कोनी.