रसूख़ का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- देश में यदि क्रिकेट के प्रति लोगों की ऐसी दीवानगी है तो मंत्री होने और क्रिकेट में अपने रसूख़ का इस्तेमाल करते हुए शरद पवार को इतना करना चाहिए कि क्रिकेट से जुड़े प्रत्येक लोग को विज्ञापन दिलाया जा सके .
- और वह रसूख़ नहीं था जो लखनऊ के पी . जी . आई के डाक्टरों को प्रभावित करता और शायद इसी लिए मेरी आवाज़ न “ ईश्वर ( ? ) ” तक पहुँची और न “ यमों ( ? ) ” तक ...
- पत्रकार बहन का रसूख़ अजमेर के बम धमाकेबाज़ों के कारण चर्चित किसी नेता से हो गया तो पर्दा उनके बदन से उतरकर उनके ज़हन पर पड़ गया और जैसी बातें ग़ैर-मुस्लिम करते हैं , इस्लाम के बारे में वैसी ही बातें वे करने लगीं।
- इसलिए अन् य पुरस् कारों सहित भारतभूषण अग्रवाल स् मृति कविता-पुरस् कार पर भी हर वर्ष जाति , प्रदेश , क्षेत्र , बोली , आस् था , विभिन् न कि़स् मों के अंतंरंग सम् बंध , रसूख़ , विनिमय आदि के सच् चे-झूठे संदेह किए ही जाते रहे हैं .
- इसलिए अन् य पुरस् कारों सहित भारतभूषण अग्रवाल स् मृति कविता-पुरस् कार पर भी हर वर्ष जाति , प्रदेश , क्षेत्र , बोली , आस् था , विभिन् न कि़स् मों के अंतंरंग सम् बंध , रसूख़ , विनिमय आदि के सच् चे-झूठे संदेह किए ही जाते रहे हैं .
- कुल मिलाकर उत्तरांचल में गनर या शैडो सुरक्षा कम स्टेटस सिंबल और रसूख़ का प्रतीक ज़्यादा हो गया है और सरकारी संपदा के इस अंधाधुंध दुरुपयोग के ख़िलाफ़ कोई मुखर विरोध भी नहीं हो रहा क्योंकि हर श्रेणी और वर्ग और हर पक्ष के लोग इसका लाभ उठा रहे हैं .
- छोटे पर्दा होने वाला है और बड़ा , जब ये बॉलीवुड स्टार टीवी पर बिखेरेंगे चमक बिग बी की भतीजी को खुलेआम घुमा रहे कुणाल, रणबीर ने सल्लू से छीना सब 4.5 करोड़ की कार में घूमते हैं बिग बी, देखिए महंगी कारों के कितने शौकीन हैं सितारे जहां पुरुषों का रसूख़, वहां यौन शोषण: चित्रांगदा
- आम तौर पर पोस्ट लिखने बाद इनको टिप्पणी देखने गिनने की ज़रूरत नहीं पड़ती ( या कहिये कि इतनी फ़्लाप पोस्टों के बाद शर्म और डर से न जाते होगे ! ) कल रात की पोस्ट प्रकाशित होने में नेटवर्क बहुत दोस्ताने तरीके व्यवहार नहीं कर रहा था ! कारण जो भी हो, यहाँ बताना उचित न होगा, कि ऎसा किन्हीं पहुँचे हुये स्वनामधन्य ब्लागर की ब्राडबैन्ड वालों के मध्य रसूख़ के चलते हुआ है !
- आम तौर पर पोस्ट लिखने बाद इनको टिप्पणी देखने गिनने की ज़रूरत नहीं पड़ती ( या कहिये कि इतनी फ़्लाप पोस्टों के बाद शर्म और डर से न जाते होगे ! ) कल रात की पोस्ट प्रकाशित होने में नेटवर्क बहुत दोस्ताने तरीके व्यवहार नहीं कर रहा था ! कारण जो भी हो, यहाँ बताना उचित न होगा, कि ऎसा किन्हीं पहुँचे हुये स्वनामधन्य ब्लागर की ब्राडबैन्ड वालों के मध्य रसूख़ के चलते हुआ है !
- आम तौर पर पोस्ट लिखने बाद इनको टिप्पणी देखने गिनने की ज़रूरत नहीं पड़ती ( या कहिये कि इतनी फ़्लाप पोस्टों के बाद शर्म और डर से न जाते होगे ! ) कल रात की पोस्ट प्रकाशित होने में नेटवर्क बहुत दोस्ताने तरीके व्यवहार नहीं कर रहा था ! कारण जो भी हो , यहाँ बताना उचित न होगा , कि ऎसा किन्हीं पहुँचे हुये स्वनामधन्य ब्लागर की ब्राडबैन्ड वालों के मध्य रसूख़ के चलते हुआ है !