रैवत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वे सब मथुरा छोड़कर रैवत पर्वत के समीप कुशस्थली पुरी ( द्वारिका ) में जाकर बस गए।- महाभारत मौसल- 14.43 - 50 भौमासुर से युद्ध : इस पलायन के दौरान हिमालय जिसे देवलोक कहा जाता था वहाँ भौमासुर का राज्य हो चला था जो देवताओं को सताया करता था।
- * चौदह मनु : ब्रह्मा के पुत्र स्वायंभुव , अत्रि के पुत्र स्वारोचिष , राजा प्रियव्रत के पुत्र तापस और उत्तम , रैवत , चाक्षुष , सूर्य के पुत्र श्राद्धेदंव ( वैवस्वत ) , सावर्णि , दक्षसावर्णि , ब्रह्मसावर्णि , ब्रह्मसावर्णि , धर्मसावर्णि , रुद्रसावर्णि , देवसावर्णि , चंद्रसावर्णि।
- * चौदह मनु : ब्रह्मा के पुत्र स्वायंभुव , अत्रि के पुत्र स्वारोचिष , राजा प्रियव्रत के पुत्र तापस और उत्तम , रैवत , चाक्षुष , सूर्य के पुत्र श्राद्धेदंव ( वैवस्वत ) , सावर्णि , दक्षसावर्णि , ब्रह्मसावर्णि , ब्रह्मसावर्णि , धर्मसावर्णि , रुद्रसावर्णि , देवसावर्णि , चंद्रसावर्णि।
- [ [ चित्र : Dauji-Temple-Baldev- 6 . jpg | [[ बलदेव मन्दिर | दाऊजी मन्दिर ]] , [[ बलदेव ]] | thumb | 250 px ]] ==== u > अवतार का आयोजन / u > ==== तब ज्योतिस्मती आनर्त देश के राजा रैवत कन्या रेवती की देह में विलीन हो गई।
- कुंडली के भावों में पहला विष्णु का पांचवां ब्रह्मा का और नवां शिव का , उसी प्रकार से दूसरा अजैकपाद , छठा त्र्यम्बक का और दसवां रैवत का माना जाता है , तीसरा अहिर्बुन्ध का सातवां अपाराजित और ग्यारहवां वृषाकपि का माना जाता है , चौथा शम्भु आठवां कपाली और बारहवां भाव कपर्दी का माना जाता है , इन्ही नामों के अनुसार कालसर्प दोषों का वर्गीकरण किया गया है।
- शार्यती अर्नत ( पुत्र ) सुकन्या ( पुत्री ) रैव ( अन्र्त देश का राजा बना कुश स्थली ( द्वारका ) महर्षि च्यवन की पत्नी रैव के पुत्र रैवत ( ककुद्यी ) / ( ब्रह्मा जी के पास गए / इस वीच यादवो ने राज्य हड़प लिया / इसका नाम यदुवंशी ने द्वारवती नाम रखा ) / भोज / वृष्ण और अन्धक वंश के वासुदेव आदि रक्षा किया करते थे .
- अपने देश में हेमाद्रि संकल्प में की गयी सृष्टि की व्याख्या के आधार पर इस समय स्वायम्भुव , स्वारोचिष , उत्तम , तामस , रैवत और चाक्षुष नामक छह मन्वन्तर पूर्ण होकर अब वैवस्वत मन्वन्तर के २ ७ महायुगों के कालखण्ड के बाद अठ्ठाइसवें महायुग के सतयुग , त्रेता , द्वापर नामक तीन युग भी अपना कार्यकाल पूरा कर चौथे युग अर्थात कलियुग के ५ ० ११ वें सम्वत् का प्रारम्भ हो रहा है।
- अपने देश में हेमाद्रि संकल्प में की गयी सृष्टि की व्याख्या के आधार पर इस समय स्वायम्भुव , स्वारोचिष , उत्तम , तामस , रैवत और चाक्षुष नामक छह मन्वन्तर पूर्ण होकर अब वैवस्वत मन्वन्तर के २ ७ महायुगों के कालखण्ड के बाद अठ्ठाइसवें महायुग के सतयुग , त्रेता , द्वापर नामक तीन युग भी अपना कार्यकाल पूरा कर चौथे युग अर्थात कलियुग के ५ ० ११ वें सम्वत् का प्रारम्भ हो रहा है।
- रैवत मनु के मन्वंतर में सुमेधा , भूपति , बैकुंठ और अमिताभ - ये चार देवगण थे | इनमें से प्रत्येक गण में चौदह-चौदह देवता थे | इन चारों देवगणों के स्वामी विभु नामक इंद्र थे | उन्होंने सौ यज्ञों का अनुष्ठान करके ही इस पद को प्राप्त किया था | हिरण्यरोमा , वेदश्री , उर्ध्वबाहु , वेदबाहु , सुधामा , पर्जन्य , महामुनि वसिष्ठ-ये सप्तर्षि थे | बलबंधु , महावीर्य सुयष्टव्य तथा सत्यक आदि रैवत मनु के पुत्र थे |
- रैवत मनु के मन्वंतर में सुमेधा , भूपति , बैकुंठ और अमिताभ - ये चार देवगण थे | इनमें से प्रत्येक गण में चौदह-चौदह देवता थे | इन चारों देवगणों के स्वामी विभु नामक इंद्र थे | उन्होंने सौ यज्ञों का अनुष्ठान करके ही इस पद को प्राप्त किया था | हिरण्यरोमा , वेदश्री , उर्ध्वबाहु , वेदबाहु , सुधामा , पर्जन्य , महामुनि वसिष्ठ-ये सप्तर्षि थे | बलबंधु , महावीर्य सुयष्टव्य तथा सत्यक आदि रैवत मनु के पुत्र थे |