लोक-सभा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- एक दानवाकार कम्पनी का ? या स्थानीय समुदाय का ? हक़ की इस लड़ाई का नेता कौन होगा ? - इन प्रश्नों को दिमाग में लिए ‘ मातृभूमि ' के सम्पादक और लोक-सभा सदस्य श्री एम . पी . वीरेन्द्रकुमार के निमंत्रण पर पहली बार २ १ , २२ , २ ३ जनवरी , २ ०० ४ को प्लाचीमाडा में आयोजित ‘ विश्व जन-जल-सम्मेलन में भाग लेने का अवसर मिला ।
- मांग करना और नयी मांग करना हमेशा से ही मानव समाज की पहचान रही है , याद कीजिये जब आप बच्चे थे , नहीं तो अब आपके अपने बच्चे तो होंगे , इसके आलावा अगर आप बीवी नहीं हैं तो आपकी बीवी होगी , और अगर ये सब भी नहीं तो आप लोक-सभा के स्पीकर के दुःख से वाकिफ़ ज़रूर होंगे और आप ये अवश्य जानते होंगे की मांग क्या होती है .
- 2 . क्या समाजवादी पार्टी को गुंडों की पार्टी कहना सही है ? : - यह तो इसी बात से परिलक्षित होता है की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वयं एक पहलवान रहे है और हम लोक-सभा में देखते है कि चाहे बात महिला आरक्षण की हो लोकपाल बिल की बात हो यह कोई भी व्यापक राष्ट्रीय हित के मुद्दे हों उन पर अध्यक्ष जी आस्तीन चढ़ा कर अपना आक्रोश हमेशा दिखाते रहे है ?
- v ) लोक-सभा ( संसद ) शासन का एक महत्वपूर्ण तत्व लोक-सभा है क्यों कि इंसान के समाजी ज़िंदगी में हर समय तब्दीली आती रहती हैं और हर समय के शर्तें विभिन्न होती हैं इसलिए ज़रूरी है कि कुछ लोग उन पर विचार विनिमय और मनन चिंतन करके उचित क़ानून बनाएं और लोक-सभा के महत्व को निगाह में रखते हुए इसके द्वारा बनाए गए नियम मान्य , प्रमाणिकÂÂ वÂÂ वैध होते हैं और उन का पालन करना वाजिब है।
- v ) लोक-सभा ( संसद ) शासन का एक महत्वपूर्ण तत्व लोक-सभा है क्यों कि इंसान के समाजी ज़िंदगी में हर समय तब्दीली आती रहती हैं और हर समय के शर्तें विभिन्न होती हैं इसलिए ज़रूरी है कि कुछ लोग उन पर विचार विनिमय और मनन चिंतन करके उचित क़ानून बनाएं और लोक-सभा के महत्व को निगाह में रखते हुए इसके द्वारा बनाए गए नियम मान्य , प्रमाणिकÂÂ वÂÂ वैध होते हैं और उन का पालन करना वाजिब है।
- v ) लोक-सभा ( संसद ) शासन का एक महत्वपूर्ण तत्व लोक-सभा है क्यों कि इंसान के समाजी ज़िंदगी में हर समय तब्दीली आती रहती हैं और हर समय के शर्तें विभिन्न होती हैं इसलिए ज़रूरी है कि कुछ लोग उन पर विचार विनिमय और मनन चिंतन करके उचित क़ानून बनाएं और लोक-सभा के महत्व को निगाह में रखते हुए इसके द्वारा बनाए गए नियम मान्य , प्रमाणिकÂÂ वÂÂ वैध होते हैं और उन का पालन करना वाजिब है।
- केवल सवर्ण होने के नाते , योग्यता पर किया जाने वाला प्रहार भला कैसे सही हो सकता है ? सबसे दुःख का विषय यह है कि … देश के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों की अनदेखी करते हुए , बिना उन पर विचार किये हुए , और उसके अनुरूप कार्यवाही किये बिना केवल राज्य-सभा और लोक-सभा में , संशोधन विधेयक को , संख्या के बल पर पारित करा कर क्या सरकार सर्वोच्च न्यायालय को छोटा दिखाना चाहती है ?
- इस्लामी दृष्टिकोण से अधिकारों को तीन ताक़तों यानि कार्यपरिषद , लोक-सभा और कोर्ट में बाटने की ज़रूरत शासन की विस्तार पूर्वक परिभाषा करना और उसकी उन विशेषताओं को बयान करना जिनको इस्लाम ने बयान किया है या सियासत के बारे में इस्लाम के दृष्टिकोण को एक वाक्य में इस तरह कहा जा सकता है कि सियासत और हुकूमतÂÂ के सारे काम इलाही और वही से हासिल हुए हों और यही चीज़ें हुकूमत और इस्लामी हुकूमती सिस्टम की प्रतिभूति होती है।
- इस्लामी दृष्टिकोण से अधिकारों को तीन ताक़तों यानि कार्यपरिषद , लोक-सभा और कोर्ट में बाटने की ज़रूरत शासन की विस्तार पूर्वक परिभाषा करना और उसकी उन विशेषताओं को बयान करना जिनको इस्लाम ने बयान किया है या सियासत के बारे में इस्लाम के दृष्टिकोण को एक वाक्य में इस तरह कहा जा सकता है कि सियासत और हुकूमतÂÂ के सारे काम इलाही और वही से हासिल हुए हों और यही चीज़ें हुकूमत और इस्लामी हुकूमती सिस्टम की प्रतिभूति होती है।
- लेकिन अगर डेमोक्रेसी से मुराद यह हो कि लोग चुनावी में आज़ाद हों संसद , लोक-सभा , के सदस्यों को आज़ादाना चयन करें , राष्ट्रपति का चयन व चुनाव आज़ादाना हो और उनको अधिकार हो कि लोक-सभा या दूसरे ज़िम्मेदार लोगों से विवरण तलब करे तोÂ ऐसी आज़ादी होना चाहिए कि अलहम्दो लिल्लाह हमारे यहाँ ऐसी आज़ादी है और हम भी सौ प्रतिशत इसका सपोर्ट करते हैं इसलिए इसके लिए शब्दों की चर्चा में जाने से बेहतर यह है कि उनके सबूतों के बारे में चर्चा की जाए , सार्वजनिक रूप से कहे।