वसना का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- गयासपुर , मकरबा, जुहापुरा और वसना जैसे मुसलिम बहुल इलाके इन सुविधाओं से कोसों दूर हैं.</p>< p>अहमदाबाद की जुमा मस्जिद के पेश-ए-इमाम शब्बीर आलम के नेतृत्व में मुसलिम नेताओं, कारोबारियों और चांद कमेटी के सदस्यों का एक प्रतिनिधिमंडल अप्रैल में मोदी से मिला था.
- इन पंक्तियों को पढ़ कर मुझे प्रकृति के चितेरे पन्त जी की पंक्तियाँ याद आती है- नीलांजन नयना , उन्मद सिन्धु सुता वर्षा यह चातक प्रिय वसना ! गुंजन जी बेहतरीन रचना के लिए आप को बधाई और भविष्य के लिए शुभकामनएं .
- तुम यहां थे ही नहीं इसलिए चली गई ! अब हाल ये कि पिछले चालीस साल से ज़्यादा गुज़र गये जो उसे देखा तक नहीं ...अब कहीं मिल भी जाये तो श्वेत वसना , उस नन्ही सी जान को पहचानूंगा भी कैसे ? ...
- सुहास्य वदना , विशाल नयना मौक्तिक दशना मुक्त कुंतला अंकुश, पाश, त्रिशूल धारिणी सुरक्त वसना रक्त कुंडला करुणा दया क्षमा भवतारा शक्ति, पार्वती, विद्युत-चपला सिंह वाहिनी, रिपु संहारिणि दैत्य विनाशिनी भक्त वत्सला मोहित, चकित भक्त भय-आतुर आश्चर्यान्वित, हर्षित विपुला आशिर्वाद हस्त आश्वासित मातु-चरण वंदन करि सकला
- लगता है मेरी कोई कंडीशनिंग इसके साथ हो गयी थी जो आज भी अवचेतन में कायम है -मुझे याद है जब मैंने पहले इसे देखा था तो इसके रैपर पर एक सद्यस्नाता अर्ध वसना नवयौवना का चित्र था . ... मुझे सेलिब्रिटी सौन्दर्य नहीं लुभाते ..
- उधर बंगला में “पंच कौड़ी दे” जब जासूसी साहित्य- ‘घटना-घटाटोप ' (1913), ‘जय-पराजय' (1913), ‘जीवन रहस्य' (1913), ‘नील वसना सुंदरी' (1913), ‘मायावी' (1913), ‘-के निर्माण में प्रवृत्त थे तो उसी काल में विज्ञान कथाएं भी लिखी जा रही थी, बल्कि कहना यह चाहिए कि बंगला में विज्ञान गल्प का उन्मेष इससे पूर्व हो चुका था।
- उधर बंगला में “पंच कौड़ी दे” जब जासूसी साहित्य- ‘घटना-घटाटोप ' (1913), ‘जय-पराजय' (1913), ‘जीवन रहस्य' (1913), ‘नील वसना सुंदरी' (1913), ‘मायावी' (1913), ‘-के निर्माण में प्रवृत्त थे तो उसी काल में विज्ञान कथाएं भी लिखी जा रही थी, बल्कि कहना यह चाहिए कि बंगला में विज्ञान गल्प का उन्मेष इससे पूर्व हो चुका था।
- जलते ही दीवाली के शत शत दीपखुल जाएँ भाग्य मोतियों के सीप बिना शरण और ठांवमंजिल को बढ़ते पाँव शुभ्र वसना सरस्वती सारिश्तों के हो रंग यकसाँ अरुणोदय की रक्तिम किरणेंउजास हर ह्रदय में भर भर दें होठों पर हो निष्कलंक मुस्कानमिट जाए सबके श्रम की थकान दूर हट जाए घिरा घना तिमिरआनन्दमय हो जाए यह शिशिर प्रस्तुतकर्ता
- उधर बंगला में “ पंच कौड़ी दे ” जब जासूसी साहित्य- ‘ घटना-घटाटोप ' ( 1913 ) , ‘ जय-पराजय ' ( 1913 ) , ‘ जीवन रहस्य ' ( 1913 ) , ‘ नील वसना सुंदरी ' ( 1913 ) , ‘ मायावी ' ( 1913 ) , ‘ -के निर्माण में प्रवृत्त थे तो उसी काल में विज्ञान कथाएं भी लिखी जा रही थी , बल्कि कहना यह चाहिए कि बंगला में विज्ञान गल्प का उन्मेष इससे पूर्व हो चुका था।
- ? ये सब अनुत्तरित प्रश्न ही हैं -लेकिन जब मैंने देखी तस्वीर तो पीत वसना अल्पना जी को अकस्मात कह बैठा - आप भारतीय सौन्दर्य की प्रतिमूर्ति दिख रही हैं और उनकी - “ शुक्रिया ” का औपचारिक जवाब आ जाने से मैं आश्वश्त हो गया कि उन्होंने यह काम्प्लीमेंट स्वीकार कर मुझे अनुगृहीत कर दिया है -यद्यपि उन्होंने अतिरिक्त सावधानी बरतते हुए अपने धन्यवाद ज्ञापन में यह जोड दिया - “ अपनी प्रशंसा आखिर किसे अच्छी नहीं लगती ” अब इस बात से कौन मुतमईन नहीं होगा ? ..