वातापि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इल्वल के द्वारा उच्च स्वर से बोली हुई वाणी सुनकर वह अत्यन्त मायावी ब्राह्मणशत्रु बलवान महादैत्य वातापि उस ब्राह्मण की पसली को फाड़कर हँसता हुआ निकल आता।
- पिछली रात वातापि रोजमर्रा की तरह बकरा बना और इल्वल ने उसकी काटाई-छांटाई कर बढ़िया डिश तैयार की और तयशुदा कार्यक्रम के तहत किसी ऋषि को खिला दी।
- लेकिन एक वट वृक्ष के नीचे बैठे राक्षस कुल के दो सहोदर वातापि और इल्वल प्रकृति की अनुपम छटा से बेखबर भोजन पानी की जुगाड़ में लगे थे।
- तभी वातापि ने अपनी तरफ से बड़ी समझदारी दिखायी- तो आप चोरों के हाथ क्यों नहीं कटवाते ? आप कैसी बात कर रहे हैं हमारे देश में हर काम कानून से होता है।
- विश्वामित्र द्वारा अपर स्वर्ग की सृष्टि , सशरीर त्रिशंकु का स्वर्गारोहण , वसिष्ठ द्वारा मात्र ब्रह्मदंड से विश्वामित्र की चतुरंगिणी सेना की पराजय , अगस्त्य द्वारा वातापि सहित सागर का पान - सबकुछ तप से ही सम्भव हुआ।
- वातापि खड़े-खड़े ही तेज आवाज में बोला-शहर की बिजली की व्यवस्था कब सुधरेगी , इनके घरों के नलों में पानी कब आयेगा , ये कब तक इस सड़ी गर्मी में भुनते रहेंगे ? आपका परिचय-डीएम ने सवाल दागा।
- राजीव मित्तल इल्वल और वातापि ने विदा होते समय जैसे ही उल्लू की प्रतिमा के आगे फूल चढ़ाये , सांसद के महल में बजने लगा-जो मैं होती राज्जा , बन की कोयलिया-केबल बाला चौंकी -यह तो घोषणापत्र जैसा लागे है , जल्दी चलो , आज तो मेले में धमाचौकड़ी मची होगी।
- यमराज कालनाम से , विश्वकर्मा मय से, शम्बरासुर त्वष्टा से, सविता विरोचन से, नमुत्रिा अपराजित से, अश्विनीकुमार वृषपर्वा से, सूर्य कलि से, राहु चंद्रमा से, पुलामा वायु से, भद्रकाली शुम्भ और निशुम्भ से, जम्भासुर से महादेव, महिषासुर से अग्नि, वातापि तथा इल्वल से ब्रह्मा, मारीचि, दुर्मष से कामदेव, शुक्राचार्य से वृहस्पति, नरकासुर से शनीचर देव, आदि का युद्ध होने लगा।
- यमराज कालनाम से , विश्वकर्मा मय से , शम्बरासुर त्वष्टा से , सविता विरोचन से , नमुत्रिा अपराजित से , अश्विनीकुमार वृषपर्वा से , सूर्य कलि से , राहु चंद्रमा से , पुलामा वायु से , भद्रकाली शुम्भ और निशुम्भ से , जम्भासुर से महादेव , महिषासुर से अग्नि , वातापि तथा इल्वल से ब्रह्मा , मारीचि , दुर्मष से कामदेव , शुक्राचार्य से वृहस्पति , नरकासुर से शनीचर देव , आदि का युद्ध होने लगा।
- यमराज कालनाम से , विश्वकर्मा मय से , शम्बरासुर त्वष्टा से , सविता विरोचन से , नमुत्रिा अपराजित से , अश्विनीकुमार वृषपर्वा से , सूर्य कलि से , राहु चंद्रमा से , पुलामा वायु से , भद्रकाली शुम्भ और निशुम्भ से , जम्भासुर से महादेव , महिषासुर से अग्नि , वातापि तथा इल्वल से ब्रह्मा , मारीचि , दुर्मष से कामदेव , शुक्राचार्य से वृहस्पति , नरकासुर से शनीचर देव , आदि का युद्ध होने लगा।