वार्णिक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- 2 ) वार्णिक छन्दों में वर्णों की संख्या निश्चित होती है और इनमें लघु और दीर्घ का क्रम भी निश्चित होता है , जब कि मात्रिक छन्दों में इस क्रम का होना अनिवार्य नहीं है ।
- ऐडमिन के सुझाव के अनुसार उक्त प्रविष्टि के साथ छंद पर लिखे फुट-नोट को पाठकों की सुविधा के लिये इस ग्रुप में डाला जा रहा है . **********यह संस्कृत भाषा का एक अत्यंत ही प्रसिद्ध वार्णिक छंद है.
- विशिष्ट तरंग दैर्ध्य ( wave length ) वाला कोई वार्णिक-विकिरण-मणि ( prism ) एवं प्रतिबिम्ब-कारक-मणि ( focussing lens ) से आवर्त्तन के उपरान्त नाभितल में वार्णिक वृत्त ( spectral circles ) के रूप में बिम्ब बनाता है।
- इस विधा में मात्रा का निर्धारण अभी तक नियमों में आबद्ध नहीं है , लेकिन यदि सुविवेक से कोई भी प्रबुद्ध रचनाकार एक गेयता में पंक्तियों को बाँधता है तो यह मात्रा निर्धारण या वार्णिक क्रम निर्धारण के बिना संभव ही नहीं ..
- ( ख ) उनका उपयोग सूर्य के प्रकाश में अवस्थित वर्णों के विक्षेपण ( dispersion ) मापन में तथा ‘ ज्योतिष-भौतिकी ' ( Astrophysics ) में जिस प्रकार आज नक्षत्रों ( stars ) का वार्णिक वर्गीकरण ( spectral classification ) करते हैं , उसी रूप में करते रहे हैं।
- आज मराठी और अन्य कुछ भाषाओं में जिस प्रकार कुछ वार्णिक छंद प्रत्येक वर्ण को , चाहे वह लघु हो या गुरू , द्विमात्रक कह कर ही बोले जाते हैं , उसी प्रकार कहे जाते होंगे और किसी भी दूसरी रीति से उनका गद्य से भेद नहीं दिखाया जा सकता।
- इस ग्रंथ में गुरु जी ने लगभग 150 प्रकार के वार्णिक और मात्रिक छंदों में भारतीय धर्म के ऐतिहासिक और प्रागैतिहासिक पात्रों के जीवन-वृत्तों की जहाँ एक ओर पुनर्रचना की है , वहीं देवी चंडी के प्रसंगों एवं चैबीस अवतारों के माध्यम से लोगों में धर्म-युद्ध का उत्साह भी भरा है।
- इस मंच पर तरही मुशायरे का आयोजन हो या भारतीय छंदों पर आधारित ' चित्र से काव्य तक ' का आयोजन , जहाँ एक में बह्र का नाम और बह्र के वज़्न को साझा करने की मांग रही है तो दूसरे में छंद का नम और उसकी मात्रिक / वार्णिक विधा की जानकारी साझा करने की आवश्यकता बनी रहती है .