×

वासुकि नाग का अर्थ

वासुकि नाग अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. तदुपरांत ओंकार को चाबुक , ब्रह्मा को सारथी , मंदराचल को गांडीव , वासुकि नाग को प्रत्यंचा , विष्णु को उत्तम बाण , अग्नि को बाण का फल , वायु को उसके पंख तथा वैवस्वत यम को उसकी पूंछ बनाकर मेरूपर्वत को प्रधान ध्वजा का स्थान दिया।
  2. भावार्थ : -(जिन लक्ष्मीजी की बात ऊपर कही गई है, वे निकली थीं खारे समुद्र से, जिसको मथने के लिए भगवान ने अति कर्कश पीठ वाले कच्छप का रूप धारण किया, रस्सी बनाई गई महान विषधर वासुकि नाग की, मथानी का कार्य किया अतिशय कठोर मंदराचल पर्वत ने और उसे मथा सारे देवताओं और दैत्यों ने मिलकर।
  3. यूनानियों के अनुसार आकाश एक छत है जहाँ दैत्य विशालकाय मशीनें चलाते हैं , वहीं हमारे यहाँ मान्यता है कि वासुकि नाग की गोद में विष्णु कछुए के रूप में बैठे हैं और अभी भी पुराने लोग यह मानते हैं कि वासुकि नाग के क्रोध में फन हिलाने की वज़ह से भूकम्प आते हैं ।
  4. यूनानियों के अनुसार आकाश एक छत है जहाँ दैत्य विशालकाय मशीनें चलाते हैं , वहीं हमारे यहाँ मान्यता है कि वासुकि नाग की गोद में विष्णु कछुए के रूप में बैठे हैं और अभी भी पुराने लोग यह मानते हैं कि वासुकि नाग के क्रोध में फन हिलाने की वज़ह से भूकम्प आते हैं ।
  5. भावार्थ : - ( जिन लक्ष्मीजी की बात ऊपर कही गई है , वे निकली थीं खारे समुद्र से , जिसको मथने के लिए भगवान ने अति कर्कश पीठ वाले कच्छप का रूप धारण किया , रस्सी बनाई गई महान विषधर वासुकि नाग की , मथानी का कार्य किया अतिशय कठोर मंदराचल पर्वत ने और उसे मथा सारे देवताओं और दैत्यों ने मिलकर।
  6. ३ ० . ३३ ( जरा व्याध द्वारा मुसल खण्ड से युक्त इषु द्वारा चतुर्भुज कृष्ण के पाद का वेधन करना ) , मत्स्य १ ३३ . ४ १ ( शिव द्वारा त्रिपुर दहन हेतु संवत्सर रूपी धनुष , उमा रूपी ज्या तथा विष्णु , सोम व अग्नि देवों से इषु की रचना ; वासुकि नाग द्वारा इषु में विष का संचार ) , १ ३ ६ .
  7. ३ ० . ३३ ( जरा व्याध द्वारा मुसल खण्ड से युक्त इषु द्वारा चतुर्भुज कृष्ण के पाद का वेधन करना ) , मत्स्य १ ३३ . ४ १ ( शिव द्वारा त्रिपुर दहन हेतु संवत्सर रूपी धनुष , उमा रूपी ज्या तथा विष्णु , सोम व अग्नि देवों से इषु की रचना ; वासुकि नाग द्वारा इषु में विष का संचार ) , १ ३ ६ .
  8. हमारे धर्म में प्रत्येक दिन सुबह-शाम अन्यान्य देवी देवताओं के साथ नागों के स्मरण का भी विधान किया गया है जिनकी कुल संख्या नौ है - ‘‘ अनंतनाग , वासुकि नाग , शेषनाग , पùनाभनाग , कंबलनाग , शंखपाल नाग , धार्तराष्ट्रनाग , तक्षकनाग और कालियानाग इन नाग नामों का सुबह शाम पाठ करने वाले जातक पर उनके विष का प्रभाव नहीं पड़ता और वह सदैव विजयी होता है।
  9. हमारे धर्म में प्रत्येक दिन सुबह-शाम अन्यान्य देवी देवताओं के साथ नागों के स्मरण का भी विधान किया गया है जिनकी कुल संख्या नौ है - ‘‘ अनंतनाग , वासुकि नाग , शेषनाग , पùनाभनाग , कंबलनाग , शंखपाल नाग , धार्तराष्ट्रनाग , तक्षकनाग और कालियानाग इन नाग नामों का सुबह शाम पाठ करने वाले जातक पर उनके विष का प्रभाव नहीं पड़ता और वह सदैव विजयी होता है।
अधिक:   पिछला  आगे


PC संस्करण
English


Copyright © 2023 WordTech Co.