वासुकी नाग का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- वासुकी नाग के मुख से निकले हुए जहर से बुझे हुए सांसों से असुरों को कष्ट होने के उपरान्त भी हिम्मत नहीं छोड़ी और फिर सारे रत्न निकले।
- गांव वासी देवी सिंह ठाकुर , मोहर सिंह, दयालू राम और शिव राम ने बताया कि देवता वासुकी नाग के रथ में लगे मोहरों में एक मोहरा हौरा हौरषू का भी है।
- देव और दानव द्वारा किए गए समुद्र मंथन में साधन रूप बनकर वासुकी नाग ने दुर्जनों के लिए भी प्रभु के कार्य में निमित्त बनने का मार्ग खुला कर दिया था।
- नारियल जैसे शीश वाली जिसकी चोटी वासुकी नाग सद्रश है , ऐसी मृग लोचना भौंहों और चंपा की डाल जैसी बांहों वाली मूमल तुम जुग जुग जियो ! वाह अशोक दा !
- वेदव्यास उस समय दाढ़ी को हिला हिला उसकी मजबूती चेक कर रहे थे मानो समुन्द्र मंथन में बलि का बकरा वासुकी नाग को नहीं बल्कि उनके दाढ़ी को बनाया गया था .
- सबसे बड़ी बात तो यह है कि समुद्र मंथन की जो प्राचीन कथा भारतीय साहित्य में मिलती है , उसमें भी वासुकी नाग को रस्सी बनाकर अमृत संधान का प्रयत्न नजर आता है।
- वासुकी नाग रूपी रस्सी तथा विशाल मन्दराचल पर्वत की मथानी बनाकर समुद्र मन्थन आरम्भ हुआ जिसमें कालकूल विष , कामुधेन गाय , ऐरावत हाथी , लक्ष्मी सहित अनेक दुर्लभ रत्नों के बाद अमृत कलश का प्रार्दुभाव हुआ।
- पुरानों में कथा है कि अमृत प्राप्ति के प्रयोजन से एक बार देवताओं व दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन करने के लिए मंदराचल पर्वत को मथनी तथा वासुकी नाग को रस्सी के तौर पर प्रयोग किया गया।
- विष्णु की प्रेरणा से मंदार पर्वत उखाडा गया और कूर्म की पृ्ष्ठ पर स्थापित कर , वासुकी नाग की नेती ( मथने की रस्सी , जिसे संस्कृ्त में नेत्र-सूत्र कहते हैं ) बनाकर इन्द्र नें मन्थन आरम्भ किया .
- विष्णु की प्रेरणा से मंदार पर्वत उखाडा गया और कूर्म की पृ्ष्ठ पर स्थापित कर , वासुकी नाग की नेती ( मथने की रस्सी , जिसे संस्कृ्त में नेत्र-सूत्र कहते हैं ) बनाकर इन्द्र नें मन्थन आरम्भ किया .