वितण्डा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जल्प और वितण्डा में अन्तर यह है कि जल्प करने वाला अपना पक्ष स्थापन करते हुए प्रतिपक्ष का खंडन करने का प्रयास करता है।
- इन विद्याओं में उत्तर की अपेक्षा पूर्व- २ ( पहले आने वाले ) श्रेष्ठ हैं अर्थात वितण्डा से श्रेष्ट जल्प है और सर्वश्रेष्ट वाद है।
- गीता में भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा है- ' वाद : प्रवदतामहम् ' [ 72 ] समय-समय पर जल्प एवं वितण्डा भी करनी पड़ती है।
- गौतम ने न्यायसूत्र में संधायसंभाषा का ही उल्लेख ' वाद' नाम से किया तथा जिसे चरक ने विगृह्यसंभाषा कहा, उसी का वर्गीकरण जल्प और वितण्डा में किया।
- जल्प और वितण्डा के अंग रूप में वादीनियम , प्रतिवादी नियम सभापति नियम , मध्यस्थ नियम तथा सदस्य नियम आदि का निर्देश प्राचीन आचार्यों ने किया है।
- गौतम ने न्यायसूत्र में संधायसंभाषा का ही उल्लेख ' वाद ' नाम से किया तथा जिसे चरक ने विगृह्यसंभाषा कहा , उसी का वर्गीकरण जल्प और वितण्डा में किया।
- ( १) प्रमाण, (२) प्रमेय, (३)संशय, (४) प्रयोजन, (५) दृष्टान्त, (६) सिद्धान्त, (७)अवयव, (८) तर्क (९) निर्णय, (१०) वाद, (११) जल्प, (१२) वितण्डा, (१३) हेत्वाभास, (१४) छल, (१५) जाति और (१६) निग्रहस्थान
- गुण ( बुद्धि ) में- अर्थ प्रमाण ( अनुमान ) , संशय , अवयव , तर्क , निर्णय , वाद , जल्प , वितण्डा , छल और जाति को अन्तर्भूत किया जा सकता है।
- गुण ( बुद्धि ) में- अर्थ प्रमाण ( अनुमान ) , संशय , अवयव , तर्क , निर्णय , वाद , जल्प , वितण्डा , छल और जाति को अन्तर्भूत किया जा सकता है।
- नैयायिकों ने छलादि का प्रयोग सही माना है , परन्तु अकलंक के अनुसार छल का प्रयोग उचित नहीं , क्योंकि छलादि से उत्पन्न जल्प , वितण्डा आदि के अस्तित्व में वे विश्वास नहीं करते।