वीरमणि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- जब अश्व उनके राज्य में पहुंचा तो राजा वीरमणि के पुत्र रुक्मांगद ने उसे बंदी बना लिया और अयोध्या के साधारण सैनिकों से कहा यज्ञ का घोडा उनके पास है इसलिए वे जाकर शत्रुघ्न से कहें की विधिवत युद्ध कर वो अपना अश्व छुड़ा लें .
- ये सुन कर भगवान रूद्र बोले की हे राम , आप स्वयं विष्णु के दुसरे रूप है मेरी आपसे युद्ध करने की कोई इच्छा नहीं है फिर भी चूँकि मैंने अपने भक्त वीरमणि को उसकी रक्षा का वरदान दिया है इसलिए मैं इस युद्ध से पीछे नहीं हट सकता अतः संकोच छोड़ कर आप युद्ध करें.
- ये सुन कर भगवान रूद्र बोले की हे राम , आप स्वयं विष्णु के दुसरे रूप है मेरी आपसे युद्ध करने की कोई इच्छा नहीं है फिर भी चूँकि मैंने अपने भक्त वीरमणि को उसकी रक्षा का वरदान दिया है इसलिए मैं इस युद्ध से पीछे नहीं हट सकता अतः संकोच छोड़ कर आप युद्ध करें .
- इसमें श्रीरामचंद्र द्वारा अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान , घोड़े के साथ गई हुई सेना के साथ सुबाहु, दमन, विद्युन्माली राक्षस, वीरमणि, शिव, सुरथ आदि का घोर युद्ध, अंत में राम के पुत्र लव और कुश के साथ भयंकर संग्राम, श्रीरामचंद्र द्वारा युद्ध का निवारण और पुत्रों सहित सीता का अयोध्या में आगमन, इन सब प्रसंगों का पद्मपुराण के आधार पर बहुत ही विस्तृत और रोचक वर्णन है।
- इसमें श्रीरामचंद्र द्वारा अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान , घोड़े के साथ गई हुई सेना के साथ सुबाहु, दमन, विद्युन्माली राक्षस, वीरमणि, शिव, सुरथ आदि का घोर युद्ध , अंत में राम के पुत्र लव और कुश के साथ भयंकर संग्राम, श्रीरामचंद्र द्वारा युद्ध का निवारण और पुत्रों सहित सीता का अयोध्या में आगमन, इन सब प्रसंगों का पद्मपुराण के आधार पर बहुत ही विस्तृत और रोचक वर्णन है।
- इसमें श्रीरामचंद्र द्वारा अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान , घोड़े के साथ गई हुई सेना के साथ सुबाहु , दमन , विद्युन्माली राक्षस , वीरमणि , शिव , सुरथ आदि का घोर युद्ध , अंत में राम के पुत्र लव और कुश के साथ भयंकर संग्राम , श्रीरामचंद्र द्वारा युद्ध का निवारण और पुत्रों सहित सीता का अयोध्या में आगमन , इन सब प्रसंगों का पद्मपुराण के आधार पर बहुत ही विस्तृत और रोचक वर्णन है।
- इसमें श्रीरामचंद्र द्वारा अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान , घोड़े के साथ गई हुई सेना के साथ सुबाहु , दमन , विद्युन्माली राक्षस , वीरमणि , शिव , सुरथ आदि का घोर युद्ध , अंत में राम के पुत्र लव और कुश के साथ भयंकर संग्राम , श्रीरामचंद्र द्वारा युद्ध का निवारण और पुत्रों सहित सीता का अयोध्या में आगमन , इन सब प्रसंगों का पद्मपुराण के आधार पर बहुत ही विस्तृत और रोचक वर्णन है।