शम्पा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- काया कोई छुए तो हो जाऊंगी नष्ट हृदय छूने पर नहीं ? हृदय देह में बसा रहता है निरंतर काया के सोपान को पार किए बिना जो अंतर गेह में करता है प्रवेश वह कोई और ही होगा पर जानती हूँ वो मनुष्य नहीं होगा अनुवाद : शम्पा भट्टाचार्य
- काया कोई छुए तो हो जाऊंगी नष्ट हृदय छूने पर नहीं ? हृदय देह में बसा रहता है निरंतर काया के सोपान को पार किए बिना जो अंतर गेह में करता है प्रवेश वह कोई और ही होगा पर जानती हूँ वो मनुष्य नहीं होगा अनुवाद : शम्पा भट्टाचार्य
- जिसके सम्मानीय सदस्य हैं : - डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र, सदस्य, छ.ग. राजभाषा आयोग, डॉ. विष्णु ठाकुर, साहित्यकार, रायपुर, श्री तपेशचंद्र गुप्ता, उपसचिव, संस्कृति विभाग, डॉ. श्रीमती शम्पा चौबे, प्राध्यापक, डिग्री गर्ल्स कॉलेज रायपुर, श्री पी. के. पाण्डेय, उपसचिव छ.ग. संवाद, श्री राजेश गनोदवाले पत्रकार नवभारत, श्री शंकर तैलंग, कार्टूनिस्ट, श्री राकेश तिवारी, कार्यक्रम अधिकारी संस्कृति विभाग, श्री बी.आर. साहू, समन्वयक एस.सी.ई.आर.टी. रायपुर।
- बॉस , जय हिंद ! नाराज मत होईये ! नीचे अर्थ लिख दिया था ! शम्पा = बादल , ( बादल से अब जल की बूंदों के बदले रक्त टपकेगा , सम्पूर्ण वातावरण में मृत्यु की गंध भरी हुई है , और जहरीला महासर्प इस धरती को निगलने के लिए आतुर खडा है , और मदमस्त हो झूम रहा है ) आपकी स्नेह भरी चाबुकमार प्रतिक्रया के लिए हार्दिक आभार ! ( क्षमा के साथ निवेदन - यह चाबुक हमेशा सक्रीय रहना चाहिए ! )
- बॉस , जय हिंद ! नाराज मत होईये ! नीचे अर्थ लिख दिया था ! शम्पा = बादल , ( बादल से अब जल की बूंदों के बदले रक्त टपकेगा , सम्पूर्ण वातावरण में मृत्यु की गंध भरी हुई है , और जहरीला महासर्प इस धरती को निगलने के लिए आतुर खडा है , और मदमस्त हो झूम रहा है ) आपकी स्नेह भरी चाबुकमार प्रतिक्रया के लिए हार्दिक आभार ! ( क्षमा के साथ निवेदन - यह चाबुक हमेशा सक्रीय रहना चाहिए ! )
- अगर तुम्हारा जन्म नारी के रूप मे हुआ है तो बचपन में तुम पर शासन करेंगे पिता अगर तुम अपना बचपन बिता चुकी हो नारी के रूप में तो जवानी में तुम पर राज करेगा पति अगर जवानी की दहलीज़ पार कर चुकी होगी तो बुढ़ापे में रहोगी पुत्र के अधीन जीवन-भर तुम पर राज कर रहे हैं ये पुरुष अब तुम बनो मनुष्य क्योंकि वह किसी की नहीं मानता अधीनता - वह अपने जन्म से ही करता है अर्जित स्वाधीनता अनुवाद : शम्पा भट्टाचार्य सतीत्व
- अगर तुम्हारा जन्म नारी के रूप मे हुआ है तो बचपन में तुम पर शासन करेंगे पिता अगर तुम अपना बचपन बिता चुकी हो नारी के रूप में तो जवानी में तुम पर राज करेगा पति अगर जवानी की दहलीज़ पार कर चुकी होगी तो बुढ़ापे में रहोगी पुत्र के अधीन जीवन-भर तुम पर राज कर रहे हैं ये पुरुष अब तुम बनो मनुष्य क्योंकि वह किसी की नहीं मानता अधीनता - वह अपने जन्म से ही करता है अर्जित स्वाधीनता अनुवाद : शम्पा भट्टाचार्य सतीत्व
- ( वैसे पहली बार , राहुल बोस-रीमा सेन-रजत कपूर की कोई इतनी बोरिंग कला फिल्म देखी....कोई और नहीं आता तो अच्छा ही होता ,हमारे पैसे बच जाते पर सबसे क्लासिक था ..फिल्म देखने के बाद, शम्पा का कमेन्ट..“ये राहुल बोस मर क्यूँ गया...लास्ट में.??..फिर खुद ही जबाब दे दिया..”इतना बोर हो गया था,इस फिल्म में काम करके कि मर गया (अब फिर लोग ,एतराज करेंगे ...कहानी क्यूँ बता दी :)} इस फिल्म में हाथ से फेंट कर बनाई गयी कॉफी का उल्लेख है...जो अब शायद ही कोई बनाता हो...लेकिन उस कॉफी के स्वाद के आगे क्या बरिस्ता...क्या