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शरदपूर्णिमा का अर्थ

शरदपूर्णिमा अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. आश्विन शरदपूर्णिमा संवत 2003 तदनुसार 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रांत के बेलग्राम जिले के सुप्रसिद्ध सदलगा ग्राम में श्रेष्ठी श्री मलप्पा पारसप्पा जी अष्टगे एवं श्रीमती श्रीमतीजी के घर जन्मे इस बालक का नाम विद्याधर रखा गया।
  2. विधिः शरदपूर्णिमा की रात को चाँदी के पात्र में 350 ग्राम त्रिफला चूर्ण , 350 ग्राम देसी गाय का घी व 175 ग्राम शुद्ध शहद मिलाकर पात्र को पतले सफेद वस्त्र से ढँक कर रात भर चाँदनी में रखें।
  3. चातुर्मास सिमति के प्रचार-प्रसार प्रभारी हेमन्त गदिया ने बताया कि 14 अक्टूबर को बैंक तिराहे पर आचार्य अभिनंदन सागर महाराज , मुनि शरदपूर्णिमा सागर तथा मुनि अर्पित सागर महाराज का कैश लोच समारोह प्रात : साढ़े आठ बजे आयोजित किया जाएगा।
  4. सन 2002 के अक्टूबर माह में शरदपूर्णिमा के दिन आहवा से 33 कि . मी. की दूरी पर शबरीधाम में एक पहाड़ी पर शबरीमाता के मंदिर का निर्माण कर माता शबरी तथा श्री रामलक्ष्मण की मूर्ति प्रतिष्ठा की गयी तथा प्रसिध्द रामायण कथाकार पु.
  5. शरदपूर्णिमा की धवल रजत चांदनी के अद्भूत और पवित्र वातावरण में , श्रीकृष्ण भगवान, कई रुप धारण करके, बांसुरी के सुमधुर सूर के गुंजन के साथ, हर गोप गोपी के साथ, आत्मीयता से महारास खेले थे, यह अप्रतिम भक्तिमय प्रसंग का जीक्र श्रीमद् भागवत में है ।
  6. एक और बात जो पूरी तरह सम्बन्धित नहीं तो विषयान्तर भी नहीं है- शरदपूर्णिमा को खीर को चाँदनीरात में रख कर अगले रोज़ खाने का रिवाज़ आज भी जारी है क्योंकि माना जाता है उस रात अमृत बरसता है ( सोम का एक अर्थ अमृत भी है ) ।
  7. इस महान संत और दिव्य विभूति को निकट से देखने वाले बताते हैं कि उनके कण-कण से कृपा और करूणा की महान किरणें पल-प्रतिपल यूं झरती रहती हैं मानो ब्रह्माण्ड से दिव्य कणों की , अमृत बूंदों की वह वर्षा जिसकी अनुभूति भारत का लोकजीवन इस प्रकृति के साथ प्रति शरदपूर्णिमा की शीतल रात्रि को करता है।
  8. संजीव , मुझे लगता है-कि , एक-ना-एक दिन , वह जो दबा सा है-वह बाहर अवश्य आएगा-मेरे विचार और लेखनी में पुनः तारतम्य अवश्य जुडेगा-बस कुछ और ज्वार-भाटे और सही-और एक दिन महासागर की सतह-शांत हो जायेगी , शरदपूर्णिमा की स्निग्ध चांदनी में , बुद्ध के मौन की तरह-जो गहराई में चला गया है , चांदी सी रेत पर , हीरे की कनी सा बिछ जायेगा .
  9. संजीव , मुझे लगता है-कि , एक-ना-एक दिन , वह जो दबा सा है-वह बाहर अवश्य आएगा-मेरे विचार और लेखनी में पुनः तारतम्य अवश्य जुडेगा-बस कुछ और ज्वार-भाटे और सही-और एक दिन महासागर की सतह-शांत हो जायेगी , शरदपूर्णिमा की स्निग्ध चांदनी में , बुद्ध के मौन की तरह-जो गहराई में चला गया है , चांदी सी रेत पर , हीरे की कनी सा बिछ जायेगा .
  10. शरद पूर्णिमा पर काव्य निशा में बरसा काव्यामृत अखिल भारतीय साहित्य परिषद एवं राष्ट्रीय चेतना मंच के संयूक्त तत्वावधान में परंपरानुसार इस वर्ष भी शरदपूर्णिमा की पीयूषमयी निशा में यहां की स्थानीय संस्था द रॉयल हेरिटेज स्कूल के प्रांगण में मुक्त गगन की छांव तले , जिलेभर प्रख्यात साहित्यधर्मी रचनाकारों द्वारा अपनी अपनी रचनायें मां सरस्वती के चरणों में अर्पित कर उनसे विद्या एवं ज्ञान के अमरत्व का वरदान मांगा गया।
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