शरीरांत का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- प्राय : 44 वर्ष तक बिहार तथा काशी के निकटवर्त्ती प्रांतों में धर्म प्रचार करने के उपरांत अंत में कुशीनगर के निकट एक वन में शाल वृक्ष के नीचे वृद्धावस्था में इनका परिनिर्वाण अर्थात शरीरांत हुआ।
- प्राय : ४४ वर्ष तक बिहार तथा काशी के निकटवर्ती प्रांतों में धर्म प्रचार करने के उपरांत अंत में कुशी नगर के निकट एक वन में शाल वृक्ष के नीचे वृद्धावस्था में इनका परिनिर्वाण अर्थात शरीरांत हुआ।
- प्राय : 44 वर्ष तक बिहार तथा काशी के निकटवर्त्ती प्रांतों में धर्म प्रचार करने के उपरांत अंत में कुशीनगर के निकट एक वन में शाल वृक्ष के नीचे वृद्धावस्था में इनका परिनिर्वाण अर्थात शरीरांत हुआ।
- आत्मा के लिए चार्वाक दर्शन में चेतना शब्द प्रयुक्त हुआ है और यह माना गया है कि शरीर में विविध पदार्थो के सम्मिश्रणसे ही चेतना का जन्म होता है , जिसका अंत भी शरीरांत के साथ हो जाता है।
- भाद्रपद माह की पूर्णिमा ( आश्विन माह की प्रतिपदा ) से श्राद्ध प्रारंभ होते हैं , तथा आश्विन की अमावस्या को श्राद्ध समाप्त हो जाते हैं , अतः इन सोलह दिनों में समस्त तिथियों का आगमन हो जाता है , जिनको अपने किसी भी प्रिय जन का शरीरांत हुआ हो .
- इनका अधिकांश समय आमेर , मारवाड़ , बीकानेर आदि में बीता परंतु अंतिम समय में ये जयपुर के निकट नराना नामक स्थान पर निवास करने लगे और यहीं नज़दीक ही स्थित भराने की पहाड़ियों में संवत १ ६६ ० में इनका शरीरांत हुआ जो वर्तमान में दादू-पंथियों का प्रमुख स्थान है।
- मृत्यु , निधन , मरण , मौत , देहांत , शरीरांत , प्राणान्त , अंत , महायात्रा , अत्यय , अवसान , देहावसान , अनुगति , फ़ना , वफात , दिष्टांत , दीर्घनिद्रा ; शरीर से प्राण निकलने की क्रिया 5 . फलदार , फलवाला ; जिसमें फल लगे हों 8 .
- मृत्यु , निधन , मरण , मौत , देहांत , शरीरांत , प्राणान्त , अंत , महायात्रा , अत्यय , अवसान , देहावसान , अनुगति , फ़ना , वफात , दिष्टांत , दीर्घनिद्रा ; शरीर से प्राण निकलने की क्रिया 5 . फलदार , फलवाला ; जिसमें फल लगे हों 8 .
- 12 जनवरी , 1863 को जन्मे नरेन्द्र को नियति 1880 में रामकृष्ण परमहंस के अध्यात्मिक प्रभामंडल में खींच ले गयी और 1886 में रामकृष्ण परमहंस के शरीरांत के साथ ही 23 वर्षीय नरेन्द्र ने अपने कंधों पर अपने गुरु भाइयों की छोटी-सी टुकड़ी का नेतृत्व करने और अपने गुरु के आध्यात्मिक संदेश को युगानुकूल भाषा में विश्व भर में गुंजित करने तथा धर्म की नवीन व व्यावहारिक व्याख्या करके भारत के मूर्छित प्राणों में नवजीवन का संचार करने का गुरुतर भार पाया।