शान्त रस का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- समस्त काल का प्रमुख रस श्रृंगार ही रहा पर वीर और शान्त रस को भी अभिव्यक्ति मिली।
- इसलिए वे शान्त रस का स्थायिभाव शम को ही मानते हैं और निर्वेद को केवल एक व्यभिचारिभाव।
- शान्त रस साहित्य में प्रसिद्ध नौ रसों में अन्तिम रस माना जाता है - “शान्तोऽपि नवमो रस : ।
- शृंगारादि की तरह शान्त रस के भेद-प्रभेद करने की ओर आचार्यों का ध्यान प्राय : नहीं गया है।
- केशवदास ने तो ‘शम ' के कारण शान्त रस को ही ‘शम रस' नाम दे दिया है - “सबते
- भयानक रस का शृंगार , वीर , रौद्र , हास्य एवं शान्त रस के साथ विरोध बताया गया है।
- इन कारिकाओँ का भावार्थ ( शान्त रस के देवता व वर्ण को छोड़कर ) ऊपर दिया जा चुका है।
- हिन्दी साहित्य में जिस ‘ शान्त रस ' का उल्लेख आता है , उसकी जोरदार मिसाल था यह पाठ।
- नवरस- शृंगार रस , हास्य रस, करुण रस, रौद्र रस, वीर रस, भयानक रस, वीभत्स रस, अद्भुत रस, शान्त रस
- अर्थात मोक्ष और आध्यात्म की भावना से जिस रस की उत्पत्ति होती है , उसको शान्त रस नाम देना सम्भाव्य है।