शून्यवाद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- नागार्जुन ( बौद्धदर्शन) शून्यवाद के प्रतिष्ठापक तथा माध्यमिक मत के पुरस्कारक प्रख्यात बौद्ध आचार्य थे।
- अर्थ का उपयोग बौड्रीलार्ड की शून्यवाद ( नाइलिज़्म) पर चर्चा का एक महत्वपूर्ण विषय था:
- अस्तित्वपरक शून्यवाद एक विश्वास है कि जीवन का कोई वास्तविक अर्थ या मूल्य नहीं है .
- बात यहीं आकर नहीं रुक जाती , उनका रहस्यवाद शून्यवाद की ओर बढ़ने लगता है।
- अतीत की धार्मिक साधना पध्दति में , बुध्द विचारधारा में शून्यवाद की आवश्यकता होती थी।
- प्रतीत्य समुत्पाद के इसी विच्छिन्न प्रवाह को लेकर आगे नागार्जुन ने अपने शून्यवाद को विकसित किया।”
- कमलबुद्धि शून्यवाद के प्रमुख आचार्य बुद्धपालत तथा आचार्य भावविवेक ( भावविवेक या भव्य) के पट्ट शिष्य थे।
- प्रतीत्य समुत्पाद के इसी विच्छिन्न प्रवाह को लेकर आगे नागार्जुन ने अपने शून्यवाद को विकसित किया।
- भगवान बुध्द के अपने शिक्षापदों में तो शून्यवाद का समर्थन करने वाला कोई सिध्दांत नहीं मिलता।
- काहे न प्रयोग करेंगी आप शून्य पर आखिर शून्यवाद भारतीय दर्शन का चरम उत्कर्ष है ।