शून्यवादी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- परन्तु इसमें बौद्धों के विज्ञानवादी , शून्यवादी, माध्यमिक इत्यादि मतों का तथा काश्मीरी शैव, त्रिक प्रत्यभिज्ञा तथा स्पन्द इत्यादि तत्वज्ञानों का निर्देश होने के कारण इसके रचयिता उसी (वाल्मीकि) नाम के अन्य कवि माने जाते हैं।
- परन्तु इसमें बौद्धों के विज्ञानवादी , शून्यवादी, माध्यमिक इत्यादि मतों का तथा काश्मीरी शैव, त्रिक प्रत्यभिज्ञा तथा स्पन्द इत्यादि तत्वज्ञानों का निर्देश होने के कारण इसके रचयिता उसी (वाल्मीकि) नाम के अन्य कवि माने जाते हैं।
- परन्तु इसमें बौद्धों के विज्ञानवादी , शून्यवादी, माध्यमिक इत्यादि मतों का तथा काश्मीरी शैव, त्रिक प्रत्यभिज्ञा तथा स्पन्द इत्यादि तत्वज्ञानों का निर्देश होने के कारण इसके रचयिता उसी (वाल्मीकि) नाम के अन्य कवि माने जाते हैं।
- यह प्रथम विश्व युद्ध में प्रौद्योगिकी के उपयोग की विशिष्ट प्रतिक्रियाओं , और नीत्शे से सैमुएल बेकेट के समय के विभिन्न विचारकों और कलाकारों की रचनाओं के प्रौद्योगिकी-विरोधी एवं शून्यवादी पहलुओं के सोच-विचार को सहज बनाता है.
- यह प्रथम विश्व युद्ध में प्रौद्योगिकी के उपयोग की विशिष्ट प्रतिक्रियाओं , और नीत्शे से सैमुएल बेकेट के समय के विभिन्न विचारकों और कलाकारों की रचनाओं के प्रौद्योगिकी-विरोधी एवं शून्यवादी पहलुओं के सोच-विचार को सहज बनाता है.
- यह प्रथम विश्व युद्ध में प्रौद्योगिकी के उपयोग की विशिष्ट प्रतिक्रियाओं , और नीत्शे से सैमुएल बेकेट के समय के विभिन्न विचारकों और कलाकारों की रचनाओं के प्रौद्योगिकी-विरोधी एवं शून्यवादी पहलुओं के सोच-विचार को सहज बनाता है.[9]
- एक शाम एक शून्यवादी पुरुष दोस्त पी के बहकने लगा और दीवार पर टंगी बेंजामिन की तस्वीर के आगे चिल्लाने लगा- “ मुस्कुराओ मिस्टर बेंजामिन ! दुनिया को अपने कंधों पर ढोने की कोई जरुरत नहीं .
- यह प्रथम विश्व युद्ध में प्रौद्योगिकी के उपयोग की विशिष्ट प्रतिक्रियाओं , और नीत्शे से सैमुएल बेकेट के समय के विभिन्न विचारकों और कलाकारों की रचनाओं के प्रौद्योगिकी-विरोधी एवं शून्यवादी पहलुओं के सोच-विचार को सहज बनाता है .
- बौद्ध स्थविरवाद के सिद्धांतों का वर्णन ' अभिधर्म' के नाम से प्रसिद्ध है किंतु महायान के शून्यवादी माध्यमिक विकास के साथ ही प्रज्ञापारमिता को महत्व मिला और अधिभर्म के स्थान में 'अभिसमय' शब्द का व्यवहार, विशेषत: मैत्रेयनाथ के बाद होने लगा।
- सत्य तो यह है कि चरक ने नास्तिकवाद की जड़ें हिला दीं . शून्यवादी माध्यमिकऔर क्षण-भंगवादी वैभाषिकों का यही तो पूर्व पक्ष था कि विश्व की शून्यता औरक्षण-भंगुरता में कौन रोगी? और किसकी चिकित्सा? जिसको ज्वर चढ़ा है वही शून्यहै और क्षण-~ भंगुर है.