संजीवक का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- -“आपके मित्र संजीवक ने विदेशी बैंकों में जो काला धन जमा करवा रखा है , इस फाइल में उसी का हिसाब किताब है।” करटक ने अपने दर्द पर काबू पाते हुए कहा।
- शरीर तथा मन का कूड़ा-कर्कट बाहर फेंकने के बाद उदित हुआ मौन संजीवक और निरामय होता है , उसमें मन की दूरियाँ मिट जाती हैं और एक चेतना का अनुभव होता है।
- यह विचार कर संजीवक को वहाँ छोड़ कर फिर वर्धमान आप धर्मपुर नामक नगर में जा कर एक दूसरे बड़े शरीर वाले बैल को ला कर जुए में जोत कर चल दिया।
- और वह एक दिन प्यास से व्याकुल होकर पानी पीने के लिए यमुना के किनारे गया और वहाँ उस सिंह ने नवीन ॠतुकाल के मेघ की गर्जना के समान संजीवक का डकराना सुना।
- संजीवक बोला , ' जबकि मेरा स्वामी मुझसे रुष्ट हो तो ऐसी स्थिति में मुझे बाहर नहीं जाना चाहिए | मुझे तो अब युद्ध के अतिरिक्त कोई श्रेयस्कर मार्ग सूझ ही नहीं रहा है |
- इस प्रकार संजीवक से बात करके दमनक करटक के पास चला गया | करकट ने जब उसको अपनी ओर आते देखा तो आगे बढ़कर उसका स्वागत करते हुए पूछने लगा , ' कहिए क्या कर आए ? ,
- यह सोच कर संजीवक बोला- हे मित्र , वह मुझे मारने वाला कैसे समझ पड़ेगा ? तब दमनक बोला- जब यह पिंगलक पूँछ फटकार कर उँचे पंजे करके और मुख फाड़ कर देखे तब तुम भी अपना पराक्रम दिखलाना।
- संजीवक ने कहा- मित्र , कहो तो यह क्या बात है दमनक ने कहा- मैं मंदभागी क्या कहूँ ? एक तरफ राजा का विश्वास और दूसरी तरफ बांधव का विनाश होना क्या कर्रूँ ? इस दुखसागर में पड़ा हँ।
- पिंगलक ने आदर से कहा- तू क्या कहना चाहता है ? दमनक ने कहा- यह संजीवक तुम्हारे ऊपर अयोग्य काम करने वाला सा दिखता है और मेरे सामने महाराज की तीनों शक्तियों की निंदा करके राज्य को ही छीनना चाहता है।
- यह कथा सुनने के बाद करटक ने कहा , ' जहां एक प्रकार की अर्पूव घटना घट सकती है | तुमने संजीवक की खुशी से क्षुब्ध होकर यह प्रपंच किया है | अपने स्वभाव के कारण तुमने संजीवक की निन्दा की |