सतोगुणी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सतोगुणी अहं से ज्ञानेन्द्रियाँ , कर्मेन्द्रियाँ तथा उभयात्मक मन इन ग्यारह की उत्पत्ति हुई।
- सतोगुणी अहं से ज्ञानेन्द्रियाँ , कर्मेन्द्रियाँ तथा उभयात्मक मन इन ग्यारह की उत्पत्ति हुई।
- तुच्छ जीवात्मा में यदि किसी प्रकार से भरपूर सतोगुणी वृद्धि हो जाये ।
- उसकी आत्मिक भूमिका में सतोगुणी तत्त्वों की अभिवृद्धि होनी आरंभ हो जाती है।
- इसी प्रकार कामेन्द्रिय की उत्तेजना सतोगुणी विचारों के कारण संयमित हो जाती है।
- सतोगुणी अहं से ज्ञानेन्द्रियाँ , कर्मेन्द्रियाँ तथा उभयात्मक मन इन ग्यारह की उत्पत्ति हुई।
- सतोगुणी को श्रेष्ठ अवस्था कहा जाता है , क्योंकि यह अध्यात्म का प्रवेशद्वार है।
- त्मोप्र्धन और आसुरी लक्षणों वाले होते है | अत : सतयुग और त्रेतायुग की सतोगुणी
- सतोगुणी अहं से ज्ञानेन्द्रियाँ , कर्मेन्द्रियाँ तथा उभयात्मक मन इन ग्यारह की उत्पत्ति हुई।
- क्योंकि देव = सतोगुणी , पशु = रजोगुणी , दानव = तमोगुणी होते हैं।