सन्धिवात का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- दस्त , बदहजमी ( भोजन का न पचना ) , अरुचि ( भोजन का मन न करना ) और सन्धिवात ( जोड़ों का दर्द ) में मेथी के लड्डूओं को सेवन किया जाता है।
- नीलम यह रत्न विषम ज्वर , मिरगी , मस्तिष्क की कमजोरी , पागलपन , हिचकी , गठिया , सन्धिवात , पेटदर्द , बेहोशी , पक्षाघात , बवासीर , हर्निया आदि रोगों पर उपयोग किया जाता है।
- नीलम यह रत्न विषम ज्वर , मिरगी , मस्तिष्क की कमजोरी , पागलपन , हिचकी , गठिया , सन्धिवात , पेटदर्द , बेहोशी , पक्षाघात , बवासीर , हर्निया आदि रोगों पर उपयोग किया जाता है।
- सन्धिवात रोग , जिसे गठिया भी कहते हैं और ऐलोपैथिक भाषा में आर्थ्राइटिस कहते हैं, एक वात व्याधि है, जो कि आमवात रोग की स्थिति ठीक न हो पाने पर, इसके बाद उत्पन्न होने वाली स्थिति होती है।
- विशेष : शरीर में चीनी की मात्रा आवश्यकता से अधिक बढ़ जाने पर जठर और आंतों में अम्लता के कारण जलन , सूजन , सड़न और घाव हो जाते हैं तथा मोटापा , मधुमेह सन्धिवात रोग होते हैं।