सफ़ेद पोश का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- बीत गए दिन अब वो जब वोट खरीदे जाते थे , जाती, धर्म, के नाम पे लोग भड़काए जाते थे, तुम भी जाग जाओ ए सफ़ेद पोश, जनता जाग गयी है, बीत गए दिन जब तुम धुल झोंक के जाते थे।
- जिससे अगली बार जब कोई सांसद सदन में सवाल करने के लिए घूस मांगे तो पूरा देश उसके इस काले चेहरे को न देख पाये ? जब शहीदों के ताबूतों में घोटाला हो तो सफ़ेद पोश नंगे न हो जाए .
- ( सफ़ेद पोश = पांढरपेशे )_________मेरे खुलुस की गेहराई से नही मिलते ! ( खुलुस = सह्र्युदता )ये झुटे लोग है सच्चाइ से नही मिलते !!मुझे सबक दे रहे है वो मोहब्बत का !जो ईद अप्ने सगे भाई से नही मिलते !!_____________
- यदि आज बापू जिन्दा होते तो अपने इन सफ़ेद पोश ‘कांग्रेसियों ' से पूछते जरूर …क्या यही शिक्षा दी थी मैंने की चांटा पड़ा और भाग खड़े हुए … शेर पुत्र से पूछना तो था …भई ये लो दूसरा गाल , एक और मारो ..
- कुछ समय पूर्व रायपुर में विधायक निवास में नक्सली पर्चे पहुंचाए गए थे . ...... किसने पहुंचाए ..... क्या नक्सलियों नें ? या किसी सफ़ेद पोश नें ? किसी भी प्रकार की हिंसा को उचित नहीं ठहराया जा सकता ..... चाहे वह वैचारिक हो या स्थू ल.
- बीत गए दिन अब वो जब वोट खरीदे जाते थे , जाती , धर्म , के नाम पे लोग भड़काए जाते थे , तुम भी जाग जाओ ए सफ़ेद पोश , जनता जाग गयी है , बीत गए दिन जब तुम धुल झोंक के जाते थे।
- रातोरात अमीर बन जाने के लिए “ मधु कोड़ा ” प्रजाति के तमाम सफ़ेद पोश देश को बेच डालने की फिराक में है ! आरक्षण और डोनेशन की कृपा से पैदा हुए इंजिनीयर ऐसे ढांचागत निर्माण खड़े कर रहे है जो बनने से पहले ही टूट जा रहे है !
- यह सही तथ्य है कि ओबामा ने महसूस किया है मार्टिन लूथर और गांधी को , किन्तु एक सच यह भी है कि ओबामा और हमारे देश के सफ़ेद पोश में यह एक समानता है दोनों महसूसते हैं गांधी को मगर करते वाही जो उनकी फितरत में शामिल होता है !
- उनकी नज़रें तो फूटबाल के पन्ने पे ही गढ़ी है ॥ और गरीबों की इस हालत के जिम्मेदार वो सफ़ेद पोश अपने कुर्ते में आई सलवटों को सही करने में लगे है एयर कंडीशन कारों में बैठ बिसलेरी पानी पिने वालों को कहाँ फर्क पड़ता है की देश में भूख से रोजाना कितने मर रहें हैं ?
- रवीन्द्र प्रभात जी भी कुछ ऐसी ही व्यथा रखते हैं - “यह सही तथ्य है कि ओबामा ने महसूस किया है मार्टिन लूथर और गांधी को , किन्तु एक सच यह भी है कि ओबामा और हमारे देश के सफ़ेद पोश में यह एक समानता है दोनों महसूसते हैं गांधी को मगर करते वाही जो उनकी फितरत में शामिल होता है !