सर्वात्मवाद का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- श्रीलंका के भीतरी हिस्सों में बसने वाले वैदा लोगों ने सिंहल लोगों की सोहबत से अपने सर्वात्मवाद में कुछ बौद्ध धर्म को भी मिश्रित कर लिया है जबकि पूर्वी तट पर तमिलों के पास रहने वाले वैदाओं ने सर्वात्मवाद में हिन्दू धर्म मिला लिया है।
- श्रीलंका के भीतरी हिस्सों में बसने वाले वैदा लोगों ने सिंहल लोगों की सोहबत से अपने सर्वात्मवाद में कुछ बौद्ध धर्म को भी मिश्रित कर लिया है जबकि पूर्वी तट पर तमिलों के पास रहने वाले वैदाओं ने सर्वात्मवाद में हिन्दू धर्म मिला लिया है।
- तार्किक भाषा में सर्वात्मवाद वह सिद्धांत है जिसके अनुसार तथाकथित जड़ पदार्थों में भी आत्मा या जीवात्मा नामवाले एक अभौतिक तत्व या शक्ति का अस्तित्व स्वीकार किया जाता है और उसे न केवल बुद्धिजीवी प्राणियों के बौद्धिक जीवन का अपितु शारीरिक अथवा भौतिक क्रियाओं का भी मूलाधार माना जाता है।
- तार्किक भाषा में सर्वात्मवाद वह सिद्धांत है जिसके अनुसार तथाकथित जड़ पदार्थों में भी आत्मा या जीवात्मा नामवाले एक अभौतिक तत्व या शक्ति का अस्तित्व स्वीकार किया जाता है और उसे न केवल बुद्धिजीवी प्राणियों के बौद्धिक जीवन का अपितु शारीरिक अथवा भौतिक क्रियाओं का भी मूलाधार माना जाता है।
- तार्किक भाषा में सर्वात्मवाद वह सिद्धांत है जिसके अनुसार तथाकथित जड़ पदार्थों में भी आत्मा या जीवात्मा नामवाले एक अभौतिक तत्व या शक्ति का अस्तित्व स्वीकार किया जाता है और उसे न केवल बुद्धिजीवी प्राणियों के बौद्धिक जीवन का अपितु शारीरिक अथवा भौतिक क्रियाओं का भी मूलाधार माना जाता है।
- वे छायावाद का मूल दर्शन सर्वात्मवाद को मानती है और प्रकृति को उसका साधन मानती हैं- ' छायावाद ने मनुष्य ह्रदय और प्रकृति के उस संबंध में प्राण डाल दिए जो प्राचीनकाल से बिंब प्रतिबिंब के रूप में चला आ रहा था, जिसके कारण मनुष्य को प्रकृति अपने दुःख में उदास और सुख में पुलकित जान पड़ती थी।'
- वे छायावाद का मूल दर्शन सर्वात्मवाद को मानती है और प्रकृति को उसका साधन मानती हैं- ' छायावाद ने मनुष्य ह्रदय और प्रकृति के उस संबंध में प्राण डाल दिए जो प्राचीनकाल से बिंब प्रतिबिंब के रूप में चला आ रहा था , जिसके कारण मनुष्य को प्रकृति अपने दुःख में उदास और सुख में पुलकित जान पड़ती थी।
- यह कविता , अगर समझे जाने के लिए, पाठक के सामने अपनी ड्येाढ़ी छोड़ देने(गीत चतुर्वेदी) और किसी ध्रुव की ऊंचाई से पूरी कायनात को देख सकने की सर्वात्मवादी निरपेक्ष दृष्टि से सम्पन्न होने की शर्त रखती है, तो हिन्दी के पाठक को यह स्वीकार कर लेने में कोई शर्म नहीं होनी चाहिए कि वह ऐसे किसी सर्वात्मवाद में भरोसा नहीं करना चाहता।
- यह कविता , अगर समझे जाने के लिए, पाठक के सामने अपनी ड्येाढ़ी छोड़ देने(गीत चतुर्वेदी) और किसी ध्रुव की ऊंचाई से पूरी कायनात को देख सकने की सर्वात्मवादी निरपेक्ष दृष्टि से सम्पन्न होने की शर्त रखती है, तो हिन्दी के पाठक को यह स्वीकार कर लेने में कोई शर्म नहीं होनी चाहिए कि वह ऐसे किसी सर्वात्मवाद में भरोसा नहीं करना चाहता।
- यह कविता , अगर समझे जाने के लिए , पाठक के सामने अपनी ड्येाढ़ी छोड़ देने ( गीत चतुर्वेदी ) और किसी ध्रुव की ऊंचाई से पूरी कायनात को देख सकने की सर्वात्मवादी निरपेक्ष दृष्टि से सम्पन्न होने की शर्त रखती है , तो हिन्दी के पाठक को यह स्वीकार कर लेने में कोई शर्म नहीं होनी चाहिए कि वह ऐसे किसी सर्वात्मवाद में भरोसा नहीं करना चाहता।