सारिवा का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- पुनर्नवा ( पथरचटा-गदहपुरैना ) , सहदेई , सारिवा ( छितवन ) , अनंतमूल , कुरंट ( लाल फूल का पिया बासां ) तथा उत्पल ( नीलकमल ) इन सभी का तेल बनाकर लगाने से सौभाग्य और सुंदरता में वृद्धि होती है . ...........................
- गर्भपात- मुलहठी , कमल , जवासा , सारिवा , रास्ना तथा पद्याख इन सभी औषधियों को समान मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण तैयार कर लें , फिर इस तैयार मिश्रण को गाय के दूध में मिलाकर पीने से गर्भस्राव रुक जाता है।
- गर्भपात- मुलहठी , कमल , जवासा , सारिवा , रास्ना तथा पद्याख इन सभी औषधियों को समान मात्रा में लेकर बारीक पीसकर चूर्ण तैयार कर लें , फिर इस तैयार मिश्रण को गाय के दूध में मिलाकर पीने से गर्भस्राव रुक जाता है।
- जिस तरह सारिवा रक्तशोधक है उसी तरह ये लोग भी अपनी माटी के सोंधेपन में रचे-बसे अपनी सतह से दूर धरती में गहरे धंसे हुए ठेठ गाँव की कोरी खुशबू को अपनी संस्कारित जड़ों में बसाये आवारा होती जा रही परम्पराओं के शोधक हैं .
- कूठ , मजीठ, देवदारु, वायविडंग, मुलहठी, भारंगी, कबीटफल का गूदा, बहेड़ा, पुनर्नवा की जड़, चव्य, जटामासी, फूल प्रियंगु, सारिवा, काला जीरा, निशोथ, रेणुका बीज (सम्भालू बीज), रास्ना, पिप्पली, सुपारी, कचूर, हल्दी, सोया (सूवा) पद्म काठ, नागकेसर, नागरमोथा, इन्द्र जौ, काक़ड़ासिंगी, विदारीकंद, शतावरी, असगन्ध और वराहीकन्द, सब 80-80 ग्राम।
- डॉक्टर साहब ! सारिवा की जड़ की तरह बस मिट्टी से जुड़ा रहूँ , आप जैसी गुणीजन के सानिध्य से कुछ सीखता रहूँ और जो कुछ इस मिट्टी से पाया है उसकी सुवास परिवेश में बिखेरने की चेष्टा कर उस परमपिता का धन्यवाद व्यक्त कर सकूँ कि तूने इस कार्य के लिए मेरा चयन किया ..
- डॉक्टर साहब ! सारिवा की जड़ की तरह बस मिट्टी से जुड़ा रहूँ , आप जैसी गुणीजन के सानिध्य से कुछ सीखता रहूँ और जो कुछ इस मिट्टी से पाया है उसकी सुवास परिवेश में बिखेरने की चेष्टा कर उस परमपिता का धन्यवाद व्यक्त कर सकूँ कि तूने इस कार्य के लिए मेरा चयन किया ..
- रोग निवारण व स्वास्थ्य संवर्धन हेतु बीस एवं परिशिष्ट में पाँच जो औषधियाँ चुनी गई हैं , उनके नाम इस प्रकार हैं- मुलैठी , आँवला , हरड़ , बिल्व , अर्जुन , पुनर्नवा , अडूसा , भारंगी , शंखपुष्पी , ब्राह्मी , र्निगुणी , सौंठ , नीम , सारिवा , अशोक , गोक्षुर , चिरायता , गिलोय , शतावर , असंगध ।
- रोग निवारण व स्वास्थ्य संवर्धन हेतु बीस एवं परिशिष्ट में पाँच जो औषधियाँ चुनी गई हैं , उनके नाम इस प्रकार हैं- मुलैठी , आँवला , हरड़ , बिल्व , अर्जुन , पुनर्नवा , अडूसा , भारंगी , शंखपुष्पी , ब्राह्मी , र्निगुणी , सौंठ , नीम , सारिवा , अशोक , गोक्षुर , चिरायता , गिलोय , शतावर , असंगध ।
- मैने पाठकों को अपने आस-पास पाई जानेवाली जडी-बूटियों क़ी पहचान कराने के उद्देश्य से चलाई गयी श्रृंखला में अब तक आपको अनार , अखरोट , भांग , धतूरा , शतावरी , जामुन , दारुहल्दी , जंगली हल्दी , मदार , स्नुही , कीड़ा-जडी , आंवला , बकुल , वसाका , सारिवा , अमलतास जैसी वनौषधियों को पिछली सीरिज में वीडियो के माध्यम से दिखाने का प्रयास किया है।