सावर्णि का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- मनु को विवस्वान * या वैवस्वत * , विवस्वन्त ( सूर्य ) का पुत्र ; सावर्णि ( सवर्णा का वंशज ) एवं सांवर्णि * ( संवरण का वंशज ) कहते हैं।
- ये कभी-कभी बहुत लंबे भी होते हैं , जैसे दुर्गा सप्तशती के “ सावर्णि सूर्यतनय ... '' से ‘‘ सावर्णि भवितामनुः ” तक के 700 ( सात सौ ) श्लोक एकमाला है।
- ये कभी-कभी बहुत लंबे भी होते हैं , जैसे दुर्गा सप्तशती के “ सावर्णि सूर्यतनय ... '' से ‘‘ सावर्णि भवितामनुः ” तक के 700 ( सात सौ ) श्लोक एकमाला है।
- अब तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु , स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तमास मनु, रेवत-मनु चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वन्तर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अन्तर्दशा चल रही है।
- अब तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु , स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तमास मनु, रेवत-मनु चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वन्तर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अन्तर्दशा चल रही है।
- वर्तमान काल तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु , स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तमास मनु, रेवत-मनु चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वन्तर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अन्तर्दशा चल रही है।
- अब तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु , स्वरोचिष मनु, उत्तम मनु, तमास मनु, रेवत मनु, चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वंतर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अंतरदशा चल रही है।
- अब तक वराह कल्प के स्वायम्भु मनु , स्वरोचिष मनु , उत्तम मनु , तमास मनु , रेवत- मनु चाक्षुष मनु तथा वैवस्वत मनु के मन्वन्तर बीत चुके हैं और अब वैवस्वत तथा सावर्णि मनु की अन्तर्दशा चल रही है।
- कौष्टुकि मुनि के पूछने पर महर्षि मार्कण्डेय जी ने उन्हें श्री शनिदेव के भ्राता सावर्णि मनु की उत्पत्ति का प्रसंग सुनाने के बाद उनके मन्वंतर के स्वामी बनने का आख्यान सुनाने के क्रम में भगवती के प्रथम चरित्र का भी गान किया।
- प्रथम पुत्र का नाम सावर्णि शनि मंदिर में होमम ( हवन ) करने के लिए अग्रिम बुकिंग हेतु देवस्थानम के कार्यकारी पदाधिकारी से फोन नं . ( 0 4368 ) 236530 और ई-मेल : ेकेणास / दपबण्पद पर संपर्क किया जा सकता है।