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सिद्धसेन का अर्थ

सिद्धसेन अंग्रेज़ी में मतलब

उदाहरण वाक्य

  1. आचार्य सिद्धसेन ने कहा है कि लोगों के उस आद्वितीय गुरु अनेकान्तवाद को हम नमस्कार करते हैं , जिसके बिना उनका व्यवहार किसी तरह भी नहीं [ ... ]
  2. आचार्य सिद्धसेन ने कहा है [ 1 ] कि लोगों के उस आद्वितीय गुरु अनेकान्तवाद को हम नमस्कार करते हैं , जिसके बिना उनका व्यवहार किसी तरह भी नहीं चलता।
  3. समन्तभद्र के इस कार्य को उनके उत्तरवर्ती श्रीदत्त , पूज्यपाद देवनन्दि , सिद्धसेन , मल्लवादी , सुमति , पात्रस्वामी आदि दार्शनिकों एवं तार्किकों ने अपनी महत्वपूर्ण रचनाओं द्वारा अग्रसारित किया।
  4. समन्तभद्र के इस कार्य को उनके उत्तरवर्ती श्रीदत्त , पूज्यपाद देवनन्दि , सिद्धसेन , मल्लवादी , सुमति , पात्रस्वामी आदि दार्शनिकों एवं तार्किकों ने अपनी महत्वपूर्ण रचनाओं द्वारा अग्रसारित किया।
  5. आचार्य समन्तभद्र , अकलंक , यशोविजय के सिवाय सिद्धसेन * , विद्यानंद * और हरिभद्र जैसे दार्शनिकों एवं तार्किकों ने भी स्याद्वाददर्शन और स्याद्वाद नयाय को जैन दर्शन और जैन न्याय प्रतिपादित किया है।
  6. संस्कृत में उमास्वाति का ' तत्वार्थाधिगमसूत्र ' , सिद्धसेन दिवाकर का ' न्यायावतार ' , नेमिचंद्र का ' द्रव्यसंग्रह ' , मल्लिसेन की ' स्याद्धादमंजरी ' , प्रभाचंद्र का ' प्रमेय कमलमातंड ' , आदि प्रसिद्ध दार्शनिक ग्रंथ है।
  7. संस्कृत में उमास्वाति का ' तत्वार्थाधिगमसूत्र ' , सिद्धसेन दिवाकर का ' न्यायावतार ' , नेमिचंद्र का ' द्रव्यसंग्रह ' , मल्लिसेन की ' स्याद्धादमंजरी ' , प्रभाचंद्र का ' प्रमेय कमलमातंड ' , आदि प्रसिद्ध दार्शनिक ग्रंथ है।
  8. संस्कृत में उमास्वाति का ' तत्वार्थाधिगमसूत्र ' , सिद्धसेन दिवाकर का ' न्यायावतार ' , नेमिचंद्र का ' द्रव्यसंग्रह ' , मल्लिसेन की ' स्याद्धादमंजरी ' , प्रभाचंद्र का ' प्रमेय कमलमातंड ' , आदि प्रसिद्ध दार्शनिक ग्रंथ है।
  9. श्रीदत्त ने जो 63 वादियों के विजेता थे * , जल्प-निर्णय , पूज्यपाद देवनंदि ने * , सार-संग्रह , सर्वार्थसिद्धि , सिद्धसेन ने सन्मति , मल्लवादी ने द्वादशारनयचक्र , सुमतिदेव ने सन्मतिटीका और पात्रस्वामी ने त्रिलक्षणकदर्शन जैसी तार्किक कृतियों को रचा है।
  10. श्रीदत्त ने जो 63 वादियों के विजेता थे * , जल्प-निर्णय , पूज्यपाद देवनंदि ने * , सार-संग्रह , सर्वार्थसिद्धि , सिद्धसेन ने सन्मति , मल्लवादी ने द्वादशारनयचक्र , सुमतिदेव ने सन्मतिटीका और पात्रस्वामी ने त्रिलक्षणकदर्शन जैसी तार्किक कृतियों को रचा है।
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