सीनाज़ोरी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यह कलियों की आनाकानी , यह अलियों की छीनाछोरी, यह बादल की बूँदाबाँदी, यह बिजली की चोराचारी, यह काजल का जादू-टोना, यह पायल का शादी-गौना, यह कोयल की कानाफूँसी, यह मैना की सीनाज़ोरी, हर क्रीड़ा तेरी क्रीड़ा है, हर पीड़ा तेरी पीड़ा है, मैं कोई खेलूँ खेल, दाँव तेरे ही साथ लगाता हूँ !
- आम जनता तो जैसे होती ही ठगने के लिए है और सरकारी सीनाज़ोरी देखिये कभी कहते हैं कि पिछले घाटे को पूरा करने के लिये दाम बढाये गये हैं , कभी अन्तर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की उथल पुथल के भारी भरकम कारण पेश कर दिए जाते हैं जो बिचारी मासूम जनता की समझ से परे होते हैं ।
- वैसे ही अपने हिंदी ब्लागजगत में टिप्पणियों का टोटा* पड़ा रहता है और कहीं कोई यही न टिप्पणिया बैठे , “ अरे वाह डाक्टर , चोरी और सीनाज़ोरी ! ” मौके की नज़ाकत के लिहाज़ से कुछ दिनों की छुट्टी लेनी पड़ी और कुछ हल्के फ़ुल्के पोस्ट निट्ठल्लेपन में ठेल कर अपनी ख़ारिश ख़ारिज़ करता रहा ।
- उसकी सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि है सबको धमकाते रहना , बेगुनाहों पर जानलेवा हमला करना , घरों को फूँकना , जोर-ज़बरदस्ती आम पब्लिक पर अपना रौब ग़ालिब करना , चोरी करके सीनाज़ोरी करना , सच छिपाना , झूठ बोलना , नफ़रत का धुआँ उड़ाना , अफवाह फैलाना , सबको बदनाम करना और खुद ही अपनी पीठ ठोंकते रहना .
- रा . सहारा , 2 सितंबर 2008 : अगर चोरी और सीनाज़ोरी की कोई मिसाल ढूंढना चाहे तो उसे कंधमाल जाना चाहिए | कंधमाल उड़ीसा का वह स्थान है , जहाँ 84 वर्षीय लक्ष्मणानंद सरस्वती और उनके चार भक्तों की निर्मम हत्या कर दी गई | 20 बंदूकधारियों ने आश्रम में घुसकर यह अपराध कियाद्व और वे आज तक पकड़े [ ... ]
- हर छोटा झंडा हो जाता बड़ा हमारी दिल्ली में नहीं फूटता है पापों का घड़ा हमारी दिल्ली में पहले था शेषन का हौव्वा खड़ा हमारी दिल्ली में दरभंगा से लड़ा इलेक्शन पड़ा हमारी दिल्ली में चोरी सीनाज़ोरी का व्यापार हमारी दिल्ली में मज़ा लूटते एमपी . पी . एम . यार हमारी दिल्ली में चंद्रास्वामी जैसे भी अवतार हमारी दिल्ली में जो कुर्सी पर उसकी जय-जयकार हमारी दिल्ली में
- ना - बराबरी , धन और सुविधाओं की न्याय - असंगत बाँट , पूँजीपतियों और राजनेताओं की साज़िशी मिलीभगत , काले धन के ख़ुदाओं और बाहुबली अपराधी तब्के की सीनाज़ोरी , अत्याचार , अंधेरगर्दी और ला - क़ानूनी को देखकर कवि का मन तड़प उठता है तो ' जन-गण-मन ' के प्रवक्ता कवि के अधरों पर मन का उबाल यों आता है : ' टूटे छप्पर , सर पर सावन
- यह कलियों की आनाकानी , यह अलियों की छीनाछोरी , यह बादल की बूँदाबाँदी , यह बिजली की चोराचारी , यह काजल का जादू-टोना , यह पायल का शादी-गौना , यह कोयल की कानाफूँसी , यह मैना की सीनाज़ोरी , हर क्रीड़ा तेरी क्रीड़ा है , हर पीड़ा तेरी पीड़ा है , मैं कोई खेलूँ खेल , दाँव तेरे ही साथ लगाता हूँ ! हर दर्पन तेरा दर्पन है !!
- है तारों की छांव चोरी से दबे पांव खिड़की या झरोखे से अंधेरे में धोखे से घर आँगन में कोई आता है कुछ खट् से खटक जाता है टूटते है सपने याद आते है अपने रुक जाती है सांसे पथराती है आँखें सन्नाटा सा छाता है घर आँगन में कोई आता है डरा कर धमका कर हर तरह से सता कर करके सीनाज़ोरी धन करता है चोरी हंगामा हो जाता है जो घर आँगन में कोई आता है
- वे सिर ऊँचा करके चल रहे थे , सिपाही की तरह कदम से कदम दोनों हाथ हिल रहे थे , दिल में एक उमंग थी , देश के लिए कुछ करने की , अन्ना जैसे बनने की , अनाचार अत्याचार ' रिश्वत खोरी , सीनाज़ोरी , के खिलाफ कह दूँगा सरकार को सॉफ , या तो मंहगाई , रिश्वतखोरी , भ्रष्टाचार से भर गयी बोरी , इसे बंद करो , उपर वाले के डंडे से डरो ! डंडे से पुलिस का डंडा याद आ गया , कलेजा …