सुमंगला का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- सुमंगला ने उसका राजसी सत्कार किया | उसे एक ऊंचे आसन पर बिठाया और उसके सम्मुख अपना मनोहारी नृत्य प्रस्तुत किया | नृत्य देखकर मूलदेव बहुत प्रसन्न हुआ और फिर जब सुमंगला ने उसे फिर वहां आने का निमंत्रण दिया तो उसकी खुशी का ठिकाना न रहा | ?
- “ मेरा नाम सुमंगला है , बहन ! ” मूलदेव की पत्नी ने अपना नाम बताया - “ मैं कामरूप नगर से यहां आई हूं | मैंने अपने नगर में उज्जयिनी की महान संस्कृति की चर्चा सुनी थी , उसी को जानने के लिए मैं यहां आई हूं | ”
- पुत्र का आग्रह सुनकर सुमंगला का मन द्रवित हो गया | उसने मूलदेव से अपने पहले और दूसरे विवाह की कहानी शुरू से अंत तक कह सुनाई | उसने यह भी बता दिया कि उसके पिता का नाम मूलदेव है , जो उज्जयिनी में रहते हैं और बहुत बड़े वेदान्ती हैं |
- कन्नड़ साहित्यकार प्रो0 सुमंगला मुम्मीगट्टी , गुजराती की साहित्यकार डा0 नयना डेलीवाला, गुजरात विश्वविद्यालय अहमदाबाद की हिन्दी विभागाध्यक्ष प्रो0 रंजना अरगड़े उड़िया लेखिका शैलबाला महापात्र उड़ीसा से ही आए हुए अनुवादक दासरथी भुइयाॅं आदि ने अपने अपने अंचलों में हिन्दी में हो रहे रचना कर्म, अनुवाद व उत्तराखण्ड के हिन्दी साहित्यकारों पर हुए कार्य से परिचित कराया।
- युक्ति काम कर गई | कुछ ही देर में मूलदेव सुमंगला के सामने जा पहुंचा | इस रूप में वह अपनी पत्नी को पहचान नहीं पाया | वह बोला - “ देवी ! तुम्हारा रूप सचमुच ही बहुत अद्वितीय है | मेरी वाणी में इतनी शक्ति नहीं है , जो तुम्हारे रूप का गुणगान कर सके | ”
- “ हां मैं | ” सुमंगला बोली - “ तुम्हारी वही पत्नी , जिसे तुम छोड़कर चले गए थे | याद है , मैंने क्या प्रतिज्ञा की थी | मैंने कहा था कि तुम जहां भी जाओगे , लौटकर मेरे पास ही आओगे और वह भी मेरे बेटे के पिता बनकर | आज मेरी प्रतिज्ञा पूरी हुई | ”
- जब शशि सुमंगला से मिलने उसके निजी कक्ष में जाने वाले चौथे और आखिरी द्वार पर पहुंचा तो महिला द्वारपाल ने उसे रूखेपन से रोक दिया | वह बोली - “ एक सज्जन आदमी होकर आप एक स्त्री से रात के इस पहर में मिलना चाहते हैं | चले जाइए महाशय वरना आप अपने सिर पर मुसीबत मोल ले लेंगे | ”
- ' अजीब नियम है | ' शशि ने सोचा , लेकिन चूंकि वह सुमंगला से मिलना चाहता था , अत : उसने स्नान करना स्वीकार कर लिया | सेविका उसे एक सुसज्जित स्नानगृह में ले गई | वहां दूसरी महिला सेविकाओं ने उसकी सेवा की | शशि ने जब तक स्नान पूरा किया , तब तक रात का एक पहर बीत गया |
- आदिनाथ भगवान का जन्म राजा नाभिराय और रानी मरूदेवी के राजमहल में अयोध्या नगरी में हुआ था | आदिनाथ भगवान जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर हुए हैं | इससे पहले इनका नाम आदिकुमार था | आदिकुमार का विवाह “ सुमंगला ” और “ सुनंदा ” नाम की दो राजकुमारियों से हुआ | रानी सुमंगला ने एक पुत्र को जन्म दिया जिसका [ ... ]
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