सुमिरनी का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- ये लोग न तिलक लगाते हैं , न कंठी पहनते हैं , साथ में एक सुमिरनी रखते हैं और ' सत्ताराम ' कहकर अभिवादन करते हैं।
- सत्ता के सतत् संघर्षण से जिनकी तशरीफें फूल गई हैं - जो शाम को इन्डिया इन्टरनैशनल सेन्टर में स्कॉच की चुस्कियों के साथ मुक्तिबोध की सुमिरनी फेरते रहते हैं।
- जुगाड़ के बाद अगर प्रेम चल निकले तो शर्त यह भी है कि सुमिरनी फेरने की तरह ही आपको रोजाना 108 बार देवी के महात्म्य का स्रोत पाठ करना होगा।
- सुमिरनी चूल्हे के आगे फैले अंगारों पर तवे से उतार कर रोटी डालती है फिर उसे खड़ी कर घये की आँच में घुमा घुमा कर दोनों ओर से सेंकती है और उछाल देती है ।
- कहाँ सुनने को मिलते हैं ऐसे मन में उतर जानेवाले दुर्लभ लोकगीत ? और इतना तन्मय गायन ! कोई वाद्ययंत्र नहीं , ढोल मँजीरा नहीं , एक घड़ा औंधा कर सुमिरनी का आदमी , चैतू ऐसी कुशलता से बजाता कि कानों में रस घुल जाता है ।
- सुमेरु समान ही ऊँचाई लिये यह ब्लॉग केन्द्र रत्न की तरह है और अपने पाठकों के लिये गंगा सुमिरनी की तरह - एक ऐसा ब्लॉग जिसमें ब्लॉगर की आत्मा इस तरह से व्याप्त है कि ब्लॉग और ब्लॉगर का विभेद कर कुछ कह पाना अत्यंत कठिन हो जाता है।
- सुमेरु समान ही ऊँचाई लिये यह ब्लॉग केन्द्र रत्न की तरह है और अपने पाठकों के लिये गंगा सुमिरनी की तरह - एक ऐसा ब्लॉग जिसमें ब्लॉगर की आत्मा इस तरह से व्याप्त है कि ब्लॉग और ब्लॉगर का विभेद कर कुछ कह पाना अत्यंत कठिन हो जाता है।
- मोड़ा-मोड़ी को तीसरे पहर भूख लगती है न ! ये गैस की नीली लपट पर सिंकी रोटियाँ और कुकर में गली दाल -सब्ज़ी , खा-खा कर जी ऊब गया है नौमी का मन करता है सुमिरनी के बोरे पर जा बैठे और चूल्हे की मंदी आँच पर सिंकती रोटियाँ और बटलोई की दाल खा कर तृप्त हो जाये ।
- हर तरह से बाधा बने रहते है ये बच्चे ! माँएँ सचमुच कल्चर्ड हैं ! अरे , मैं भी कहाँ की लेकर बैठ गई नौमी फ़लतू बातों को दिमाग़ से झटक देना चाहती है , ये परेशानियाँ तो जग-विदित हैं ! ** छोटे को दूध पिला , ज़मीन पर बोरा बिछा कर बैठाल देती है सुमिरनी , और अपने काम में लग जाती है ।
- इनके लिखे ग्रंथों के नाम ये हैं , रासपंचाध्यायी, रामचंद्रविलास, शंकामोचन (संवत् 1873)े, जौहरिनतरंग (1875), रसिकरंजनी (1877), विज्ञान भास्कर (1878), ब्रजदीपिका (1883), शुकरंभासंवाद (1888), नामचिंतामणि (1903), मूलभारत (1911), भारतसावित्री (1912), भारत कवितावली (1913), भाषा सप्तशती (1917), कवि जीवन (1918), आल्हा रामायण (1922), रुक्मिणीमंगल (1925), मूल ढोला (1925), रहस लावनी (1926), अध्यात्मरामायण, रूपक रामायण, नारी प्रकरण, सीतास्वयंबर, रामविवाहखंड, भारत वार्तिक, रामायण सुमिरनी, पूर्व श्रृंगारखंड, मिथिलाखंड, दानलोभसंवाद, जन्म खंड।