सूईं का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- इसका मान उस समय के बराबर होता है , जिसमें कि छः पल भार के ( चौदह आउन्स ) के ताम्र पात्र से जल पूर्ण रूप से निकल जाये , जबकि उस पात्र में चार मासे की चार अंगुल लम्बी सूईं से छिद्र किया गया हो .
- इस का केवल इतना उद्देश्य है कि एक तो आप को इस बॉयो-मैडीकल वेस्ट मैनेजमैंट के दहकते मुद्दे के बारे में सैंसेटाइज़ किया जा सके और दूसरा जब हम लोग घर में सीरिंज और सूईं इस्तेमाल करते हैं तो उस के डिस्पोज़ल के बारे में भी सोचें।
- सुलगते पिंड ' ( 1966 ) और ' एक उजली नजर की सूईं ' ( 1966 ) की कविताएं महानगरीय जीवन के अजनबीपन को अपनी छैनी के प्रहारों या फिर आत्मीय आलिंगनों से दूर करने और जिंदगी की जिल्द के किसी नये सफे को पढ़ने का सपना पाले हुए थी।
- जब कभी बाजू से रक्त का सैंपल लिया जाता है तब तो आप डिस्पोज़ेबल सूईं इत्यादि का पूरा ध्यान कर ही लेते होंगे , लेकिन क्या कभी आपने यह ध्यान किया है कि जब आप की उंगली को प्रिक कर के सैंपल लिया जाता है तो वह किस तरह से लिया जाता है ?
- इस मामले पर बोलने और इससे जुड़े रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए अगर किसी के पास सच है तो वह हैं सोनिया गांधी जिन्होंने चुप्पी मारकर यह भी साबित कर दिया है कि वे इस मामले को और आगे बढ़ता नहीं देखना चाहतीं क्योंकि इसकी अलार्म सूईं बार-बार प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर घूमती दिखती है।
- उंगली और अंगूठे बीच दबाकर मेरे गालों को मांग काढ़ती कई तरह कई शक्लें देती बालों को सुबह जल्दी जागी हुई देर रात दौड़ती वो हरदम तत्पर मिलती थी काँटों की बना के सूईं फटी हुई साड़ियों पे चांद-सितारे सिलती थी जो विश्व की सुंदरतम औरतें उनको गिनते हुए पाता हूँ मैं याद आती है माँ
- चाहे तो किसी को कोई टीका वगैरह लगना हो या किसी का कोई ब्लड-सैंपल लेने के लिये ही . ....... और हां , एक बहुत ही ज़रूरी बात का यह तो खास ध्यान रखें कि इस्तेमाल की गई सूईं पर उस की टोपी चढ़ाने से गुरेज करें ( जैसा कि आप इस तस्वीर में देख रहे हैं ) ......
- ज़िन्दगी ने ठोकरें देकर जिसे सिखाया है , आयाम बिंधने के कभी कभी बिना बिंधे भी बिंध जाता है कहीं कुछ सूईं धागे की जरूरत ही नहीं होती शब्दों की मार तलवार के घाव से गहरी जो होती है मगर कभी कभी शब्दों की मार से भी परे कहीं कुछ बिंध जाता है और वो जो बिंधना होता है ...
- हां , तो हम लोग अपने यहां पर उंगली से रक्त का सैंपल देने की बात कर रहे थे - सही ढंग की बात करें तो उस के लिये एक छोटा सी पत्तीनुमा बारीक सी सूईं आती है जिसे लैंसेट ( Lancet ) कहा जाता है और यह डिस्पोज़ेबल होती है अर्थात् इसे दोबारा किसी मरीज़ पर इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिये।
- लेकिन मेरी हमेशा यही चिंता रहती है कि जहां कहां भी यह सूईंयां -वूईंयां इस्तेमाल होती हों वहां पर पूरी एहतियात बरती जा पायेगी या नहीं . ....यह बहुत बड़ा मुद्दा है, बड़े सेंटरों एवं हस्पतालों की तो मैं बात नहीं कर रहा, लेकिन गांवों में भोले-भाले लोगों को नीम-हकीम किस तरह एक ही सूईं से टीके लगा लगा कर बीमार करते रहते हैं ..