सेराब का अर्थ
उदाहरण वाक्य
- यहां तक के जब गन्दे पानी से सेराब हो जाता है और महमिल और बेफ़ाएदा बातों को जमा कर लेता है तो लोगों के दरमियान क़ाज़ी बन कर बैठ जाता है और इस अम्र की ज़िम्मेदारी ले लेता है के जो उमूर दूसरे लोगों पर मुश्तबह हैं वह उन्हें साफ़ कर देगा।
- जिसने फ़हम की नेमत पा ली वह इल्म की गहराई तक पहुंच गया और जिसने इल्म की गहराई को पा लिया वह फ़ैसले के घाट से सेराब होकर बाहर आया और जिसने अक़्ल इस्तेमाल कर ली उसने अपने अम्र में कोई कोताही नहीं की और लोगों के दरम्यान क़ाबिले तारीफ़ ज़िन्दगी गुज़ाार दी।
- इसके दुष्मनों को इसकी करामत के ज़रिये ज़लील किया है और इससे मुक़ाबला करने वालों को इसकी नुसरत के ज़रिये रूसवा किया है इसके रूकन के ज़रिये ज़लालत के अरकान को मुनहदिम किया है और इसके हौज़ से प्यासों को सेराब किया है और फ़िर पानी उलचने वालों के ज़रिये इन हौज़ों को भर दिया है।
- यहां तक कि जब इस गन्दे पानी से सेराब हो लेता है और लायअनी ( निरर्थक ) बातों को जम्आ कर लेता है तो लोगों में क़ाज़ी ( निर्णायक ) बन कर बैठ जाता है और दूसरों पर मुश्तबह रहने वाले ( शंकित रहने वाले ) मसाइल ( समस्याओं ) के हल करने का ज़िम्मा ले लेता है।
- लेहाज़ा इसकी बैयत में सबक़त करना एक इन्सानी और ईमानी फ़रीज़ा है और दरहक़ीक़त मौलाए कायनात ( अ 0 ) ने इस पूरी सूरते हाल को एक लफ़्ज़ में वाज़ेअ कर दिया है के यह दिन दर हक़ीक़त प्यासों के सेराब होने का दिन था और लोग मुद्दतों से तष्नाकाम थे लेहाज़ा इनका टूट पड़ना हक़ बजानिब था।
- पर उस की नज़र पड़ी आप ने करबला के बाद से अपना एक फ़रीज़ा बना लिया था वह यह कि आप अपने कांधे पर मश्क़ उठाते थे और मदीने की गलियों में हर इंसान को पानी से सेराब किया करते थे और फ़रमाते थे कि मीठा और ठंडा पानी पियो और मेरे बाबा हुसैन ( अ. ) प्यास को याद करो।
- ऐ अज़ीज़म तुम्हारी खोई हुई चीज़ तुम्हारे पास है , बस अपने सामने से हिजाब को हटाने की कोशिश करो ताकि दिल के हुस्ने आरा को देख सको , आप की रूहो जान उस से सेराब हो सके , आप अपने तमाम वुजूद में चैनों सकून का एहसास कर सको और ज़मीनों आसमान के तमाम लश्करो को अपने इख़्तियार में पा सको।
- इसके बाद इन दोनों तख़लीक़ों को मज़ीद कारआमद बनाने के लिये हवा को सारी फ़िज़ा में मुन्तषिर कर दिया और पानी के चष्मे अगर पहाड़ों की बलन्दियों को सेराब नहीं कर सकते थे तो बारिष का इन्तेज़ाम कर दिया ताके बलन्दी-ए-कोह ( पहाड़ ) पर रहने वाली मख़लूक़ भी इससे इस्तेफ़ादा कर सके और इन्सानों की तरह जानवरों की ज़िन्दगी का इन्तज़ाम हो जाए।
- ( (( -दुनिया में साहेबाने इल्म व फ़ज़्ल बेशुमार हैं लेकिन वह अहले इल्म जिन्हें मालिक ने अपने इल्म और अपने दीन का मुहाफ़िज़ बनाया है वह महदूद ही हैं जिनकी सिफ़त यह है के इल्म का तहफ़्फ़ुज़ भी करते हैं और दूसरों को सेराब भी करते रहते हैं , ख़ुद भी सेराब रहते हैं और दूसरों की तशनगी का भी इलाज करते रहते हैं।
- ( (( -दुनिया में साहेबाने इल्म व फ़ज़्ल बेशुमार हैं लेकिन वह अहले इल्म जिन्हें मालिक ने अपने इल्म और अपने दीन का मुहाफ़िज़ बनाया है वह महदूद ही हैं जिनकी सिफ़त यह है के इल्म का तहफ़्फ़ुज़ भी करते हैं और दूसरों को सेराब भी करते रहते हैं , ख़ुद भी सेराब रहते हैं और दूसरों की तशनगी का भी इलाज करते रहते हैं।